जिस मोड़ पर किए थे हमने क़रार बरसों,
उससे लिपट के रोये दीवानावार बरसों
(क़रार = वादा, प्रतिज्ञा), (दीवानावार = दीवाने की तरह)
तुम गुलसिताँ से आए ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ ही लाए,
हमने क़फ़स में देखी फ़स्ल-ए-बहार बरसों
(गुलसिताँ = बाग़, बगीचा, उपवन), (ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ = पतझड़ की चर्चा), (क़फ़स = पिंजरा), (फ़स्ल-ए-बहार = बहार का मौसम/ समय)
होती रही है यूँ तो बरसात आँसुओं की,
उठते रहे हैं फिर भी दिल से ग़ुबार बरसों
(ग़ुबार = मन में दबाया हुआ क्रोध, दुःख ये द्वेष)
वो संगदिल था कोई बेगाना-ऐ-वफ़ा था,
करते रहें हैं जिसका हम इंतजार बरसों
(संगदिल = पत्थरदिल), (बेगाना-ऐ-वफ़ा = वादा निभाने से अपरिचित)
-सुदर्शन फ़ाकिर
Jis mod par kiye the humne qaraar barson
Usse lipat ke roye, deewana-waar barson
Tum gulsitan se aaye zikre khizaan hi laaye
Humne kafas mein dekhi fasl-e-bahaar barson
Hoti rahee hai yun to barsaat aasuon kee
Uthte rahe hain phir bhi dil se gubaar barson
Wo sangdil tha koi begaana-e-wafa tha
Karte rahen hai jiska hum intezaar barson
-Sudarshan Faakir
उससे लिपट के रोये दीवानावार बरसों
(क़रार = वादा, प्रतिज्ञा), (दीवानावार = दीवाने की तरह)
तुम गुलसिताँ से आए ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ ही लाए,
हमने क़फ़स में देखी फ़स्ल-ए-बहार बरसों
(गुलसिताँ = बाग़, बगीचा, उपवन), (ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ = पतझड़ की चर्चा), (क़फ़स = पिंजरा), (फ़स्ल-ए-बहार = बहार का मौसम/ समय)
होती रही है यूँ तो बरसात आँसुओं की,
उठते रहे हैं फिर भी दिल से ग़ुबार बरसों
(ग़ुबार = मन में दबाया हुआ क्रोध, दुःख ये द्वेष)
वो संगदिल था कोई बेगाना-ऐ-वफ़ा था,
करते रहें हैं जिसका हम इंतजार बरसों
(संगदिल = पत्थरदिल), (बेगाना-ऐ-वफ़ा = वादा निभाने से अपरिचित)
-सुदर्शन फ़ाकिर
Jis mod par kiye the humne qaraar barson
Usse lipat ke roye, deewana-waar barson
Tum gulsitan se aaye zikre khizaan hi laaye
Humne kafas mein dekhi fasl-e-bahaar barson
Hoti rahee hai yun to barsaat aasuon kee
Uthte rahe hain phir bhi dil se gubaar barson
Wo sangdil tha koi begaana-e-wafa tha
Karte rahen hai jiska hum intezaar barson
-Sudarshan Faakir
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