Tuesday 26 August 2014

Jis mod par kiye the/ जिस मोड़ पर किए थे

जिस मोड़ पर किए थे हमने क़रार बरसों,
उससे लिपट के रोये दीवानावार बरसों

(क़रार = वादा, प्रतिज्ञा), (दीवानावार = दीवाने की तरह)

तुम गुलसिताँ से आए ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ ही लाए,
हमने क़फ़स में देखी फ़स्ल-ए-बहार बरसों

(गुलसिताँ = बाग़, बगीचा, उपवन), (ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ = पतझड़ की चर्चा), (क़फ़स = पिंजरा), (फ़स्ल-ए-बहार = बहार का मौसम/ समय)

होती रही है यूँ तो बरसात आँसुओं की,
उठते रहे हैं फिर भी दिल से ग़ुबार बरसों

(ग़ुबार = मन में दबाया हुआ क्रोध, दुःख ये द्वेष)

वो संगदिल था कोई बेगाना-ऐ-वफ़ा था,
करते रहें हैं जिसका हम इंतजार बरसों

(संगदिल = पत्थरदिल), (बेगाना-ऐ-वफ़ा = वादा निभाने से अपरिचित)

-सुदर्शन फ़ाकिर


Jis mod par kiye the humne qaraar barson
Usse lipat ke roye, deewana-waar barson

Tum gulsitan se aaye zikre khizaan hi laaye
Humne kafas mein dekhi fasl-e-bahaar barson

Hoti rahee hai yun to barsaat aasuon kee
Uthte rahe hain phir bhi dil se gubaar barson

Wo sangdil tha koi begaana-e-wafa tha
Karte rahen hai jiska hum intezaar barson

-Sudarshan Faakir

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