मुझसे मिलने के वो करता था बहाने कितने
अब गुज़ारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने
तुम नया ज़ख़्म लगाओ तुम्हें इस से क्या है
भरने वाले हैं अभी ज़ख़्म पुराने कितने
-सीमाब अकबराबादी
Mujhse milne ke wo karta tha bahaane kitne
Ab guzaarega mere saath zamaane kitne
Main gira tha to bahot log ruke the lekin
Sochta hoon mujhe aaye the uthaane kitne
Jis tarah maine tujhe apna bana rakha hai
Sochte honge yahi baat na jaane kitne
Tum naya zakhm lagao tumhe isse kya hai
Bharne waale hain abhi zakhm puraane kitne
-Seemab Akbarabadi
अब गुज़ारेगा मेरे साथ ज़माने कितने
मैं गिरा था तो बहुत लोग रुके थे लेकिन
सोचता हूँ मुझे आए थे उठाने कितने
जिस तरह मैंने तुझे अपना बना रखा है
सोचते होंगे यही बात न जाने कितने
तुम नया ज़ख़्म लगाओ तुम्हें इस से क्या है
भरने वाले हैं अभी ज़ख़्म पुराने कितने
-सीमाब अकबराबादी
Jagjit Singh - Private Mehfil
Chitra Singh - Private Mehfil
Ab guzaarega mere saath zamaane kitne
Main gira tha to bahot log ruke the lekin
Sochta hoon mujhe aaye the uthaane kitne
Jis tarah maine tujhe apna bana rakha hai
Sochte honge yahi baat na jaane kitne
Tum naya zakhm lagao tumhe isse kya hai
Bharne waale hain abhi zakhm puraane kitne
-Seemab Akbarabadi
Thank you for posting my favorite ghazal.
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