नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है
बाँध रक्खा है किसी सोच ने घर से हम को
वर्ना अपना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है
रेत की, ईंट की, पत्थर की हो, या मिट्टी की
किसी दीवार के साए का भरोसा क्या है
अपनी दानिस्त में समझे कोई दुनिया ‘शाहिद’
वर्ना हाथों में लकीरों के अलावा क्या है
(दानिस्त = ज्ञान, जानकारी)
-शाहिद कबीर
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
घेर कर मुझको भी लटका दिया मस्लूब के साथ
मैं ने लोगों से ये पूछा था कि क़िस्सा क्या है
(मस्लूब = जिसे सूली पर चढ़ाया गया हो)
संग-रेज़ों के सिवा कुछ तिरे दामन में नहीं
क्या समझ कर तू लपकता है उठाता क्या है
(संग-रेज़ों = पत्थर के छोटे टुकड़ों, कंकड़ों)
Neend se aankh khuli hai abhi dekha kya hai
Dekh lena abhi kuch der mein duniya kya hai
Baandh rakha hai kisee sonch ne ghar say humko
Varna apna dar-o-deewar se rishta kya hai
Ret ki, eent ki, pathar ki ho, ya mitti ki
Kisi deewar ke saye ka barosa kya hai
Apni daanist me samjhe koi duniya 'shahid'
Warna hathon mein lakiron ke alaawa kya hai
-Shahid Kabir
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है
बाँध रक्खा है किसी सोच ने घर से हम को
वर्ना अपना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है
रेत की, ईंट की, पत्थर की हो, या मिट्टी की
किसी दीवार के साए का भरोसा क्या है
अपनी दानिस्त में समझे कोई दुनिया ‘शाहिद’
वर्ना हाथों में लकीरों के अलावा क्या है
(दानिस्त = ज्ञान, जानकारी)
-शाहिद कबीर
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
घेर कर मुझको भी लटका दिया मस्लूब के साथ
मैं ने लोगों से ये पूछा था कि क़िस्सा क्या है
(मस्लूब = जिसे सूली पर चढ़ाया गया हो)
संग-रेज़ों के सिवा कुछ तिरे दामन में नहीं
क्या समझ कर तू लपकता है उठाता क्या है
(संग-रेज़ों = पत्थर के छोटे टुकड़ों, कंकड़ों)
Neend se aankh khuli hai abhi dekha kya hai
Dekh lena abhi kuch der mein duniya kya hai
Baandh rakha hai kisee sonch ne ghar say humko
Varna apna dar-o-deewar se rishta kya hai
Ret ki, eent ki, pathar ki ho, ya mitti ki
Kisi deewar ke saye ka barosa kya hai
Apni daanist me samjhe koi duniya 'shahid'
Warna hathon mein lakiron ke alaawa kya hai
-Shahid Kabir
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