आशियाने की बात करते हो
किस ज़माने की बात करते हो
सारी दुनिया के रंज-ओ-ग़म दे कर
मुस्कुराने की बात करते हो
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा)
हादसा था गुज़र गया होगा
किसके जाने की बात करते हो
हम को अपनी ख़बर नहीं कुछ भी
तुम ज़माने की बात करते हो
हमने अपनों से ज़ख़्म खाये हैं
तुम तो ग़ैरों की बात करते हो
आशियाने की बात करते हो
दिल जलाने की बात करते हो
-जावेद क़ुरैशी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
ज़िक्र मेरा सुना तो चिढ़ के कहा
किस दीवाने की बात करते हो
रस्म-ए-उल्फ़त, ख़ुलूस, तर्ज़-ए-वफ़ा
किस ज़माने की बात करते हो
(प्रेम/ स्नेह की परम्परा), (ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठा), (तर्ज़-ए-वफ़ा = वफ़ा की रीति/ ढंग)
Aashiyaane ki baat karte ho
Kis zamaane ki baat karte ho
Saari duniya ke ranjh-o-gham dekar
Muskuraane ki baat karte ho
Haadsaa tha guzar gaya hoga
Kiske jaane ki baat karte ho
Hum ko apni khabar nahin kuch bhi
Tum zamaane ki baat karte ho
Humne apnon se zakhm khaaye hain
Tum to gairon ki baat karte ho
Aashiyaane ki baat karte ho
Dil jalaane ki baat karte ho
-Javed Qureshi
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