एक चमेली के मंड़वे तले
मैक़दे से ज़रा दूर
उस मोड़ पर
दो बदन प्यार की आग में जल गए
प्यार हर्फ़-ए-वफ़ा
प्यार उनका ख़ुदा
प्यार उनकी चिता
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(हर्फ़-ए-वफ़ा = वफ़ा का अक्षर)
हमने देखा उन्हें
दिन में और रात में
नूर-ओ-ज़ुल्मात में
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(नूर-ओ-ज़ुल्मात = उजाले और अँधेरे)
मस्जिदों के मुनारों ने देखा उन्हें
मंदिरों के किवाड़ों ने देखा उन्हें
मैक़दे की दरारों ने देख उन्हे
दो बदन प्यार की आग में जल गए
अज़ अज़ल ता अबद
ये बता चारागर
तेरी ज़ंबील में
नुस्ख़ा-ए-कीमिया-ए-मोहब्बत भी है
कुछ इलाज-ओ-मुदावा-ए-उल्फ़त भी है
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(अज़ अज़ल ता अबद = अनादिकाल से हमेशा के लिए), (चारागर = चिकित्सक), (ज़ंबील = थैला, झोला, पिटारा), (नुस्ख़ा-ए-कीमिया-ए-मोहब्बत = प्यार का रसायन बनाने की विधि), (इलाज-ओ-मुदावा-ए-उल्फ़त = प्रेम की बीमारी का उपचार)
मैक़दे से ज़रा दूर
उस मोड़ पर
दो बदन प्यार की आग में जल गए
प्यार हर्फ़-ए-वफ़ा
प्यार उनका ख़ुदा
प्यार उनकी चिता
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(हर्फ़-ए-वफ़ा = वफ़ा का अक्षर)
हमने देखा उन्हें
दिन में और रात में
नूर-ओ-ज़ुल्मात में
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(नूर-ओ-ज़ुल्मात = उजाले और अँधेरे)
मस्जिदों के मुनारों ने देखा उन्हें
मंदिरों के किवाड़ों ने देखा उन्हें
मैक़दे की दरारों ने देख उन्हे
दो बदन प्यार की आग में जल गए
अज़ अज़ल ता अबद
ये बता चारागर
तेरी ज़ंबील में
नुस्ख़ा-ए-कीमिया-ए-मोहब्बत भी है
कुछ इलाज-ओ-मुदावा-ए-उल्फ़त भी है
दो बदन प्यार की आग में जल गए
(अज़ अज़ल ता अबद = अनादिकाल से हमेशा के लिए), (चारागर = चिकित्सक), (ज़ंबील = थैला, झोला, पिटारा), (नुस्ख़ा-ए-कीमिया-ए-मोहब्बत = प्यार का रसायन बनाने की विधि), (इलाज-ओ-मुदावा-ए-उल्फ़त = प्रेम की बीमारी का उपचार)
-मख़्दूम मोइउद्दीन
Ek chameli ke mandwe tale
Maikade se zara door
Us mod par
Do badan pyaar ki aag mein jal gaye
Pyaar harf-e-wafa
Pyaar unka khuda
Pyaar unki chita
Do badan pyaar ki aag mein jal gaye
Humne dekha unhen
Din mein aur raat mein
Noor-o-zulmaat mein
Do badan pyaar ki aag mein jal gaye
Masjidon ke munaaron ne dekha unhe
Mandiron ke kiwadon ne dekha unhe
Maikade kee daraaron ne dekha unhe
Do badan pyaar ki aag mein jal gaye
Az azal ta abad
Ye bata chaaragar
Teri zambeel mein
Nuskha-e-keemiya-e-mohabbat bhi hai
Kuch ilaaz-o-mudaawa-e-ulfat bhi hai
Do badan pyaar ki aag mein jal gaye
-Makhdoom Moinuddin
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