एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसा लें तो कैसा रहेगा
एक फूलों का घर और उसमें तुम्हें हम सजा लें तो कैसा रहेगा
सारी दुनिया के ग़म क्यों तुम्हारे लिए काम छोड़ो भी कोई हमारे लिए
प्यार की राह में ग़म के काँटे हैं जो हम उठा लें तो कैसा रहेगा
शाम की शोखियाँ, रात की मस्तियाँ, जी के देखो ज़रा, ज़िन्दगी है यहाँ
इन महकते हुए गेसुओं में तुम्हें हम छुपा लें तो कैसा रहेगा
-सुदर्शन फ़ाकिर
एक फूलों का घर और उसमें तुम्हें हम सजा लें तो कैसा रहेगा
सारी दुनिया के ग़म क्यों तुम्हारे लिए काम छोड़ो भी कोई हमारे लिए
प्यार की राह में ग़म के काँटे हैं जो हम उठा लें तो कैसा रहेगा
शाम की शोखियाँ, रात की मस्तियाँ, जी के देखो ज़रा, ज़िन्दगी है यहाँ
इन महकते हुए गेसुओं में तुम्हें हम छुपा लें तो कैसा रहेगा
-सुदर्शन फ़ाकिर
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