गुड़िया तुझ पर इक पल हँसना, इक पल रोना आए
वक़्त बना वो बच्चा जिसके, हाथ खिलौना आए
ऐसी चली हालात की आँधी बुझ गई मन की ज्योति
अरमानो की ड़ोर यों टूटी बिखर गए सब मोती
तेरे अश्कों को माला में किसे पिरोना आए
तेरा कोई ज़ोर चले ना इस दुनिया के आगे
तुझ पर अपना हुक़ुम चलायें रस्म-ओ-रिवाज़ के धागे
तेरी मजबूरी को ग़म का बोझ ही ढोना आए
सबने शोर मचा कर कह दी अपनी अपनी बात
बैठी रही ख़ामोश ये गुड़िया दिल पर रख कर हाथ
पार लगाना कोई ना जाने सबको डुबोना आए
काश कभी कानून की देवी आँख से पट्टी खोले
देख के सब इंसाफ़ करे वो सच को बराबर तोले
रस्मो के संग जज़्बों को भी उसे समोना आए
-मदन पाल
वक़्त बना वो बच्चा जिसके, हाथ खिलौना आए
ऐसी चली हालात की आँधी बुझ गई मन की ज्योति
अरमानो की ड़ोर यों टूटी बिखर गए सब मोती
तेरे अश्कों को माला में किसे पिरोना आए
तेरा कोई ज़ोर चले ना इस दुनिया के आगे
तुझ पर अपना हुक़ुम चलायें रस्म-ओ-रिवाज़ के धागे
तेरी मजबूरी को ग़म का बोझ ही ढोना आए
सबने शोर मचा कर कह दी अपनी अपनी बात
बैठी रही ख़ामोश ये गुड़िया दिल पर रख कर हाथ
पार लगाना कोई ना जाने सबको डुबोना आए
काश कभी कानून की देवी आँख से पट्टी खोले
देख के सब इंसाफ़ करे वो सच को बराबर तोले
रस्मो के संग जज़्बों को भी उसे समोना आए
-मदन पाल
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