Tuesday 27 January 2015

Jinhein main dhoondhta tha aasmanon mein zameenon mein/ जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में
वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनों में

(ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल = दिल के अँधेरे घर), (मकान में रहने वाले)

महीने वस्ल के घड़ियों की सूरत उड़ते जाते हैं
मगर घड़ियाँ जुदाई की गुज़रती हैं महीनों में

(वस्ल = मिलन)

मुझे रोकेगा तू ऐ नाख़ुदा क्या ग़र्क़ होने से
कि जिन को डूबना है डूब जाते हैं सफ़ीनों में

(नाख़ुदा = मल्लाह, नाविक), (ग़र्क़ = डूबने), (सफ़ीनों = जहाज़ों, नावों)

मोहब्बत के लिये दिल ढूँढ कोई टूटने वाला
ये वो मय है जिसे रखते हैं नाज़ुक आबगीनों में

(आबगीनों =  बारीक़ परत वाली काँच की बोतलें)

ख़मोश ऐ दिल भरी महफिल में चिल्लाना नहीं अच्छा
अदब पहला क़रीना है मुहब्बत के क़रीनों में

(क़रीना = शिष्टता, तमीज़, सलीका)

बुरा समझूँ उन्हें मुझ से तो ऐसा हो नहीं सकता
कि मैं ख़ुद भी तो हूँ 'इक़बाल' अपने नुक्ताचीनों में


(नुक्ताचीनों = आलोचकों)

- अल्लामा इक़बाल




इसी कुछ और अश'आर:

अगर कुछ आशना होता मज़ाक़-ए- जिबहसाई से
तो संग-ए-आस्तान-ए-काबा जा मिलता जबीनों से

(आशना = परिचित), (मज़ाक़-ए- जिबहसाई = माथा टेकने का आनन्द), (संग-ए-आस्तान-ए-काबा = काबा की दहलीज़ का पत्थर जिसपर हर यात्री माथा टेकता है), (जबीनों = माथों)

कभी अपना भी नज़्ज़ारा किया है तूने ऐ मजनूँ
कि लैला की तरह तू भी तो है महमिलनशीनों में

(महमिलनशीनों = ऊँट की पीठ पर पर्देदार हौदे में बैठने वाली)

जला सकती है शम्म -ए-कुश्ता को मौज-ए-नफ़स उन की
इलाही क्या छुपा होता है अहल-ए-दिल के सीनों में

(शम्म -ए-कुश्ता = बुझी हुई शम्मा को), (मौज-ए-नफ़स = आह भरी साँस, उच्छ्वास), (अहल-ए-दिल = दिल वालों)

तमन्ना दर्द-ए-दिल की हो तो कर ख़िदमत फ़क़ीरों की
नहीं मिलता ये गौहर बादशाहों के ख़ज़ीनों में

(ख़िदमत = सेवा), (गौहर = मोती), (ख़ज़ीनों =  कोशों)

न पूछ इन ख़िर्क़ापोशों की इरादत हो तो देख उनको
यद-ए-बैज़ा लिए बैठे हैं ज़ालिम आस्तीनों में

(ख़िर्क़ापोशों = चीथड़े पहने हुए लोगों), (इरादत  = श्रद्धा, आस्था, विश्वास), (यद-ए-बैज़ा = चमकता हुआ हाथ)

नुमायाँ हो के दिखला दे कभी इनको जमाल अपना
बहुत मुद्दत से चर्चे हैं तेरे बारीक बीनों के

(नुमायाँ = ज़ाहिर, प्रकट),  (जमाल = सौन्दर्य, शोभा), (बारीक बीनों = बुद्धिमानों)

किसी ऐसे शरर से फूँक अपने ख़िरमन-ए-दिल को
कि ख़ुर्शीद-ए-क़यामत भी हो तेरे ख़ोश:चीनों में

(शरर = चिंगारी), (ख़िरमन-ए-दिल = दिल का खलिहान), (ख़ुर्शीद-ए-क़यामत = क़यामत का सूर्य), (ख़ोश:चीनों = लाभ उठाने वालों, प्रशंसकों)



Jinhein main dhoondhta tha aasmanon mein zameenon mein
Wo nikle mere zulmatKhaana-e-dil ke makeenon mein

Maheene vasl ke ghadhiyon ki soorat udte jaate hain
Magar ghadiyaan judaai ki guzarti hain maheenon mein

Mujhe rokega tu ae naaKhuda kya gharq hone se
Ki jinko doobna hai doob jaate hain safeenon mein

Mohabbat ke liye dil dhoondh koi tootne waala
Ye wo mai hai jise rakhte hain naazuk aabgeenon mein

Khamosh ae dil bhari mehfil mein chillana nahi achcha
Adab pahla kareena hai muhabbat ke kareeno mein

Bura samjhoon unhen mujh se to aisa ho nahi sakta
Ki main khud bhi to hoon 'Iqbaal' apne nuktacheeno mein

-Allama Iqbal

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