कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है
इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है
(कुर्बत = सामीप्य, नज़दीकी, निकटता)
दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है
तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है
(मसर्रत = हर्ष, आनंद, ख़ुशी)
-कैफ़ी आज़मी
Koi ye kaise bataaye ke wo tanaha kyon hai
Wo jo apanaa tha, wahee aur kisee ka kyon hai
yahi duniyaa hai to phir, aisi ye duniyaa kyon hai
yahi hota hai to, aakhir yahi hota kyon hai
Ik zaraa haath badhaa de to, pakad len daaman
Us ke seene mein samaa jaaye, hamaari dhadkan
Itanee kurbat hai to phir fasala itnaa kyon hai
Dil-e-barabaad se nikalaa naheen ab tak koi
Ik lute ghar pe diyaa karataa hai dastak koi
Aas jo toot gayi phir se bandhaataa kyon hai
Tum masarrat ka kaho ya ise gham ka rishta
Kehate hain pyaar ka rishta hai janam ka rishta
Hai janam ka jo ye rishta to badalata kyon hai
-Kaifi Azmi
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया है तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता है तो, आखिर यही होता क्यों है
इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ लें दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत है तो फिर फ़ासला इतना क्यों है
(कुर्बत = सामीप्य, नज़दीकी, निकटता)
दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता है दस्तक कोई
आस जो टूट गयी फिर से बंधाता क्यों है
तुम मसर्रत का कहो या इसे ग़म का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता है जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है
(मसर्रत = हर्ष, आनंद, ख़ुशी)
-कैफ़ी आज़मी
Movie: Arth
Koi ye kaise bataaye ke wo tanaha kyon hai
Wo jo apanaa tha, wahee aur kisee ka kyon hai
yahi duniyaa hai to phir, aisi ye duniyaa kyon hai
yahi hota hai to, aakhir yahi hota kyon hai
Ik zaraa haath badhaa de to, pakad len daaman
Us ke seene mein samaa jaaye, hamaari dhadkan
Itanee kurbat hai to phir fasala itnaa kyon hai
Dil-e-barabaad se nikalaa naheen ab tak koi
Ik lute ghar pe diyaa karataa hai dastak koi
Aas jo toot gayi phir se bandhaataa kyon hai
Tum masarrat ka kaho ya ise gham ka rishta
Kehate hain pyaar ka rishta hai janam ka rishta
Hai janam ka jo ye rishta to badalata kyon hai
-Kaifi Azmi
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