तेरे क़दमों पे सर होगा क़ज़ा सर पे खड़ी होगी
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बंदगी होगी
(क़ज़ा = मौत)
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी
(नसीम-ए-सुबह = सुबह की शीतल हवा), (गुलशन = बाग़, बग़ीचा), (गुल = फूल)
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशर
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी
(सर-ए-महफ़िल = भरी सभा में, सबके सामने), (सर-ए-महशर = क़यामत के दिन)
मज़ा आ जायेगा महशर फिर कुछ सुनने सुनाने का
ज़ुबाँ होगीवहाँ मेरी, कहानी आप की होगी
(महशर = फैसले का दिन, क़यामत का दिन)
तुम्हें दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी
(दानिस्ता = जान बूझ कर)
-सीमाब अकबराबादी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
Tere kadmon pe sar hoga kaza sar pe khadi hogi
Phir us sazde ka kya kehna anokhi bandagi hogi
Nashim-e-subah gulashan meiN guloN se khelati hogi
Kisiki aakhari hichki kisiki dillagi hogi
Dikhaa doonga sar-e-mehfil bataa doonga sar-e-mehshar
Wo mere dil meiN hogi aur duniya dekhati hogi
Maza aa jayega mehkashe meiN fir sune sunaane ka
Junbaa hogi wahaaN meri, kahani aapaki hogi
Tumhe danista mehfil me jo dekha ho to muzarim hooN
Nazar aakhir nazar hai be-iraada uth gayi hogi
-Seemab Akbarabadi
फिर उस सजदे का क्या कहना अनोखी बंदगी होगी
(क़ज़ा = मौत)
नसीम-ए-सुबह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
किसी की आख़िरी हिचकी किसी की दिल्लगी होगी
(नसीम-ए-सुबह = सुबह की शीतल हवा), (गुलशन = बाग़, बग़ीचा), (गुल = फूल)
दिखा दूँगा सर-ए-महफ़िल बता दूँगा सर-ए-महशर
वो मेरे दिल में होगी और दुनिया देखती होगी
(सर-ए-महफ़िल = भरी सभा में, सबके सामने), (सर-ए-महशर = क़यामत के दिन)
मज़ा आ जायेगा महशर फिर कुछ सुनने सुनाने का
ज़ुबाँ होगीवहाँ मेरी, कहानी आप की होगी
(महशर = फैसले का दिन, क़यामत का दिन)
तुम्हें दानिस्ता महफ़िल में जो देखा हो तो मुजरिम हूँ
नज़र आख़िर नज़र है बे-इरादा उठ गई होगी
(दानिस्ता = जान बूझ कर)
-सीमाब अकबराबादी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
Tere kadmon pe sar hoga kaza sar pe khadi hogi
Phir us sazde ka kya kehna anokhi bandagi hogi
Nashim-e-subah gulashan meiN guloN se khelati hogi
Kisiki aakhari hichki kisiki dillagi hogi
Dikhaa doonga sar-e-mehfil bataa doonga sar-e-mehshar
Wo mere dil meiN hogi aur duniya dekhati hogi
Maza aa jayega mehkashe meiN fir sune sunaane ka
Junbaa hogi wahaaN meri, kahani aapaki hogi
Tumhe danista mehfil me jo dekha ho to muzarim hooN
Nazar aakhir nazar hai be-iraada uth gayi hogi
-Seemab Akbarabadi
Sir wonderful job you have done.
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