या रब ग़म-ए-हिज्राँ में इतना तो किया होता
जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता
(ग़म-ए-हिज्राँ = जुदाई के दुःख), (दस्त-ए-दुआ = दुआ मांगने के लिए उठा हाथ)
इक इश्क़ का ग़म आफ़त और उस पे ये दिल आफ़त
या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता
नाकाम तमन्ना दिल इस सोच में रहता है
यूँ होता तो क्या होता यूँ होता तो क्या होता
उम्मीद तो बँध जाती तस्कीन तो हो जाती
वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता
(तस्कीन = चैन, आराम)
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
-चराग़ हसन हसरत
Ya rab gham-e-hijran mein itna to kiya hota
Jo haath jigar par hai wo dast-e-dua hota
Ik ishq ka gham aafat aur us pe ye dil aafat
Ya gham na diya hota ya dil na diya hota
Nakam tamanna dil is soch mein rehta hai
Yoon hota to kya hota yoon hota to kya hota
Ummeed to bandh jati taskin to ho jati
Waada na wafaa karte waada to kiya hota
Gairon se kaha tum ne gairon se suna tum ne
Kuch hum se kaha hota kuch hum se suna hota
-Chirag Hasan Hasrat
nice
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