मुझको रह-ए-हयात में लुटने का डर नहीं
मैं वो चराग़ हूँ जिसे खौफ़-ए-सहर नहीं
(रह-ए-हयात = जीवन की राह), (खौफ़-ए-सहर = सुबह का डर)
शायद है एक और फ़लक ज़ेर-ए-आसमाँ
मैं जानता हूँ मेरी दुआ बेअसर नहीं
(फ़लक = आकाश, आसमान), (ज़ेर-ए-आसमाँ = आकाशतले, आकाश के नीचे अर्थात सारे संसार में)
ख़ंजर चले हैं दिल पे सितम के कई हज़ार
लेकिन लहू से आस्तीं कोई भी तर नहीं
देखा था उसने मुझको शमा देखने के बाद
फिर उसके बाद क्या हुआ मुझको ख़बर नहीं
-नामालूम
मैं वो चराग़ हूँ जिसे खौफ़-ए-सहर नहीं
(रह-ए-हयात = जीवन की राह), (खौफ़-ए-सहर = सुबह का डर)
शायद है एक और फ़लक ज़ेर-ए-आसमाँ
मैं जानता हूँ मेरी दुआ बेअसर नहीं
(फ़लक = आकाश, आसमान), (ज़ेर-ए-आसमाँ = आकाशतले, आकाश के नीचे अर्थात सारे संसार में)
ख़ंजर चले हैं दिल पे सितम के कई हज़ार
लेकिन लहू से आस्तीं कोई भी तर नहीं
देखा था उसने मुझको शमा देखने के बाद
फिर उसके बाद क्या हुआ मुझको ख़बर नहीं
-नामालूम
Mujhko rah-e-hayaat mein lutne ka dar nahi
Main wo charag hoon jise khauf-e-sahar nahi
Main wo charag hoon jise khauf-e-sahar nahi
Shayad hai ek aur falak zer-e-aasmaan
Main jaanta hoon meri dua be-asar nahi
Main jaanta hoon meri dua be-asar nahi
Khanjar chale hain dil pe sitam ke kai hazaar
Lekin lahu se aasteen koi bhi tar nahi
Lekin lahu se aasteen koi bhi tar nahi
Dekha tha usne mujhko shamaa dekhne ke baad
Fir uske baad kya hua mujhko khabar nahi
Fir uske baad kya hua mujhko khabar nahi
-Unknown
ऐसे नगीने कहाँ से लाते हो गुरु बड़ा सुकून मिलता है सुन कर
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