Monday 25 August 2014

Dost ban-banke mile muJhko mitaane waale/ दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले

दोस्त बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले
मैंने देखे हैं कई रंग बदलने वाले

तुमने चुप रहकर सितम और भी ढाया मुझ पर
तुमसे अच्छे हैं मेरे हाल पे हँसनेवाले

मैं तो इख़लाक़ के हाथों ही बिका करता हूँ
और होंगे तेरे बाज़ार में बिकनेवाले

(अख़लाक़ = इख़लाक़ = शिष्टाचार, सद्वृत्ति)

आख़री बार सलाम-ए-दिल-ए-मुज़्तर ले लो
फिर ना लौटेंगे शब-ए-हिज्र पे रोनेवाले

[(मुज़्तर = व्याकुल, बेचैन, बेबस, लाचार) (सलाम-ए-दिल-ए-मुज़्तर = व्याकुल दिल का सलाम), (शब-ए-हिज्र = जुदाई की रात)]

-सईद राही





dost ban-banke mile muJhko mitaane waale
maine dekhe haiN kaI rang badalane waale

tumne chup rehkar sitam aur bhee Dhaayaa mujhpar
tumse achchhe haiN mere haal pe haNsne waale

maiN to ikhalAq ke hathoN hi bikA kartaa hooN
aur hoNge tere baazAr meiN bikne waale

akhree baar salaam-e-dil-e-muztar le lo
phir naa lauTenge shab-e-hiJr pe ronewaale

-Saeed Rahi

3 comments:

  1. अपनी मस्ती के लिए ज़र्फ़ को बदनाम न कर,
    आ के मयख़ाने मे गिर गिर के संभलने वाले..

    ~सईद राही

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