Sunday 4 January 2015

Dohe - Main roya pardes mein, bhegaa maa kaa pyaar/ दोहे - मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार

मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार
दुःख ने दुःख से बात की, बिन चिट्ठी बिन तार

छोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार
आँखों भर आकाश है, बाँहों भर संसार

ले के तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव
हर चादर के घेर से, बाहर निकले पाँव

सब की पूजा एक सी, अलग अलग हर रीत
मस्ज़िद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत

पूजा-घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम

नदिया सींचे खेत को, तोता कुतरे आम
सूरज ठेकेदार सा, सबको बाँटे काम

सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर           (पीर = सोमवार)
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़क़ीर

अच्छी संगत बैठकर, संगी बदले रूप
जैसे मिलकर आम से, मीठी हो गयी धूप

सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास
पाना, खोना, खोजना, सांसो का इतिहास

चाहे गीता बाँचिये, या पढ़िये कुरान
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान

-निदा फ़ाज़ली


कुछ और दोहे:

दर्पण में आँखें बनी, दीवारों में कान
चूड़ी में बजने लगी, अधरों की मुस्कान

जीवन के दिन-रैन का, कैसे लगे हिसाब
दीमक के घर बैठकर, लेखक लिखे किताब

रास्ते को भी दोष दे, आँखें भी कर लाल
चप्पल में जो कील है, पहले उसे निकाल

मिट्टी से मिट्टी मिले खो के सभी निशान
किसमें कितना कौन है कैसे हो पहचान

सीधा सादा डाकिया जादू करे महान
एक ही थैले में भरे आँसू और मुस्कान

पंछी, मानव, फूल, जल, अलग-अलग आकार
माटी का घर एक ही, सारे रिश्तेदार

बूढ़ा पीपल घाट का, बतियाए दिन-रात
जो भी गुज़रे पास से, सिर पे रख दे हाथ

चीखे घर के द्वार की लकड़ी हर बरसात
कटकर भी मरते नहीं, पेड़ों में दिन-रात

बरखा सब को दान दे, जिसकी जितनी प्यास
मोती सी ये सीप में, माटी में से घास

स्टेशन पर ख़त्म की भारत तेरी खोज
नेहरू ने लिखा नहीं कुली के सर का बोझ

बच्चा बोला देख कर, मस्जिद आलीशान,
अल्ला तेरे एक को, इतना बड़ा मकान

आँगन–आँगन बेटियाँ, छाँटी–बाँटी जाएँ
जैसे बालें गेहूँ की, पके तो काटी जाएँ

ऊपर से गुड़िया हँसे, अंदर पोलमपोल
गुड़िया से है प्यार तो, टाँको को मत खोल

मस्जिद का हो रास्ता या मंदिर का द्वार
बेग़म अख़्तर की ग़ज़ल सबको बाँटे प्यार



Main roya pardes mein, bhegaa maa kaa pyaar
Dukh ne dukh se baat ki, bin chitthi bin taar

Chhotaa kar ke dekhiye, jeevan kaa vistaar
Aankhon bhar aakaash hai, baahon bhar sansaar

Leke tan ke naap ko, ghoome basti gaanv
Har chaadar ke gher se, baahar nikale paanv

Sab ki poojaa ek si, alag alag har reet
Masjid jaaye maulavi, koyal gaaye geet

Pooja ghar mein moorti, Meera ke sang Shyam
Jiski jitni chaakari, utne uske daam

Nadiyaa seenche khet ko, tota kutare aam
Sooraj thekedaar saa, sab ko baantay kaam

Saaton din bhagawaan ke, kyaa mangal kyaa peer
Jis din soye der tak, bhookhaa rahay fakir

Achhi sangat baithkar, sangi badale roop
Jaisay milkar aam se meethi ho gayi dhoop

Sapnaa jharnaa neend kaa, jaagi aankhen pyaas
Paanaa, khonaa, khojanaa saanson kaa itihaas

Chaahe Geeta baanchiye, yaa padhiye Quraan
Mera tera pyaar hi har pustak kaa gyaan

-Nida Fazli

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