गुजरात के फ़िराक़ सूं है, ख़ार ख़ार दिल
बेताब सा है सीने में आतिश बहार दिल
मरहम नहीं है इसके ज़ख्म का जहान में
शमशीर सूं हुआ है जो मेरा फ़िगार दिल
हर आशना के याद की गर्मी सुतन में है
हर दम है बेक़रारी मिसाल-ए शरार-ए-दिल
लेकिन हज़ार शुक्र 'वली' हक़ के फैज़ सूं
फिर उसके देखने का है उमीदवार दिल
-वली दकनी
बेताब सा है सीने में आतिश बहार दिल
मरहम नहीं है इसके ज़ख्म का जहान में
शमशीर सूं हुआ है जो मेरा फ़िगार दिल
हर आशना के याद की गर्मी सुतन में है
हर दम है बेक़रारी मिसाल-ए शरार-ए-दिल
लेकिन हज़ार शुक्र 'वली' हक़ के फैज़ सूं
फिर उसके देखने का है उमीदवार दिल
-वली दकनी
Gujraat ke firaaq soon hai, khaar khaar dil
betaab sa hai seene mein aatish bahaar dil
marham nahi hai iske, jakhm ka jahaan mein
shamshir soon huwa hai, jo mera figaar dil
har aashana ke yaad ki, garmi sutan mein hai
har dam hai bekaraari, misaale sharaar-e-dil
lekin hajaar shukr 'wali' haq ke faiz soon
phir usake dekhane ka hai, umeedwaar dil
-Wali Dakhni
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