दर्द-ए-दिल में कमी न हो जाए
दोस्ती दुश्मनी न हो जाए
तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो
आसमाँ मुद्दई न हो जाए
(मुद्दई = दावा करने वाला)
बैठता है हमेशा रिन्दों में
कहीं ज़ाहिद, वली न हो जाए
(रिन्दों = शराबियों), (ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला), (वली = महात्मा, ऋषि)
अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशिक़ी बंदगी न हो जाए
(ख़ू-ए-वफ़ा = वफ़ा का तौर-तरीक़ा)
- बेख़ुद बदायूँनी
dard-e-dil me kami na ho jaaye
dosti dushmani na ho jaaye
tum meri dosti ka dam na bharo
aasmaan muddai na ho jaaye
baithta hai hamesha rindon me
kahin zahid wali na ho jaaye
apni khoo-e-wafaa se darta hoon
aashiqi bandagi na ho jaaye
-Bekhud Badayuni
दोस्ती दुश्मनी न हो जाए
तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो
आसमाँ मुद्दई न हो जाए
(मुद्दई = दावा करने वाला)
बैठता है हमेशा रिन्दों में
कहीं ज़ाहिद, वली न हो जाए
(रिन्दों = शराबियों), (ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला), (वली = महात्मा, ऋषि)
अपनी ख़ू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशिक़ी बंदगी न हो जाए
(ख़ू-ए-वफ़ा = वफ़ा का तौर-तरीक़ा)
- बेख़ुद बदायूँनी
dard-e-dil me kami na ho jaaye
dosti dushmani na ho jaaye
tum meri dosti ka dam na bharo
aasmaan muddai na ho jaaye
baithta hai hamesha rindon me
kahin zahid wali na ho jaaye
apni khoo-e-wafaa se darta hoon
aashiqi bandagi na ho jaaye
-Bekhud Badayuni
सर ये ग़ज़ल बेख़ुद बदायूंनी की है..
ReplyDeleteThank you so much Manoj ji. Corrected it
ReplyDeleteकहीं 'बेखुद' तुम्हारी खुद्दारी
ReplyDeleteदुश्मनी बेखुदी न हो जाये...
Ultimate gazal
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