रात भी, नींद भी, कहानी भी
हाय, क्या चीज़ है जवानी भी
दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी
(सेराब = भीगा हुआ, पानी से सींचा हुआ)
ख़ल्क़ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी ज़ुबानी भी
(खल्क = दुनिया, सृष्टी, जगत)
पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी
-फ़िराक़ गोरखपुरी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
raat bhi neend bhi kahaani bhee
haaye kya cheez hai jawaani bhee
dil ko sholoN se karti hai seraab
zindagi aag bhee hai paani bhee
khalq kya kya muJhe nahiN kehti
kuch sunooN maiN teri zubaani bhee
paas rehna kisi ka raat ki raat
mehmaani bhee mezbaani bhee
-Firaq Gorakhpuri
हाय, क्या चीज़ है जवानी भी
दिल को शोलों से करती है सेराब
ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी
(सेराब = भीगा हुआ, पानी से सींचा हुआ)
ख़ल्क़ क्या क्या मुझे नहीं कहती
कुछ सुनूं मैं तेरी ज़ुबानी भी
(खल्क = दुनिया, सृष्टी, जगत)
पास रहना किसी का रात की रात
मेहमानी भी, मेज़बानी भी
-फ़िराक़ गोरखपुरी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
raat bhi neend bhi kahaani bhee
haaye kya cheez hai jawaani bhee
dil ko sholoN se karti hai seraab
zindagi aag bhee hai paani bhee
khalq kya kya muJhe nahiN kehti
kuch sunooN maiN teri zubaani bhee
paas rehna kisi ka raat ki raat
mehmaani bhee mezbaani bhee
-Firaq Gorakhpuri
No comments:
Post a Comment