मुझे दे रहे हैं तसल्लियाँ वो हर एक ताज़ा पयाम से
कभी आ के मन्ज़र-ए-आम पर, कभी हट के मन्ज़र-ए-आम से
(पयाम = सन्देश), (मन्ज़र-ए-आम = सार्वजनिक प्रदर्शन)
(पयाम = सन्देश), (मन्ज़र-ए-आम = सार्वजनिक प्रदर्शन)
न ग़रज़ किसी से न वास्ता, मुझे काम अपने ही काम से
तेरे ज़िक्र से, तेरी फ़िक्र से, तेरी याद से, तेरे नाम से
मेरे साक़िया! मेरे साक़िया! तुझे मर्हबा! तुझे मर्हबा!
तू पिलाये जा, तू पिलाये जा, इसी चश्म-ए-जाम-ब-जाम से
(मर्हबा = बहुत ख़ूब,शाबाश), (चश्म-ए-जाम-ब-जाम = नशीली आँखें)
(मर्हबा = बहुत ख़ूब,शाबाश), (चश्म-ए-जाम-ब-जाम = नशीली आँखें)
तेरी सुबह-ओ-ऐश है क्या बला, तुझे ऐ फ़लक जो हो हौसला
कभी कर ले आ के मुक़ाबला, ग़म-ए-हिज्र-ए-यार की शाम से
(फ़लक = आसमान), (ग़म-ए-हिज्र-ए-यार = प्रियतम से जुदाई का दुःख)
(फ़लक = आसमान), (ग़म-ए-हिज्र-ए-यार = प्रियतम से जुदाई का दुःख)
-जिगर मुरादाबादी
Mujhe de rahe hain tasalliyaan wo har ek tazaa payaam se
kabhi aake manzar-e-aam par kabhi hat ke manzar-e-aam se
na garaz kisi se na waasta mujhe kaam apne hi kaam se
tere zikr se, teri fikr se, teri yaad se, tere naam se
mere saaqiya mere saaqiya tujhe marhaba tujhe marhaba
tu pilaaye jaa tu pilaaye jaa isi chashm-e-jaam-ba-jaam se
teri subah-o-aish hai kya balaa tujhe ay falak jo ho hausla
kabhi kar le aa ke mukaabala gham-e-hijr-e-yaar ki shaam se
-Jigar Moradabadi
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