ये किसका तसव्वुर है ये किसका फ़साना है
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
[(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद), (फ़साना = विवरण, हाल), (अश्क = आँसू), (तस्बीह = माला)]
जो उनपे गुज़रती है किसने उसे जाना है
अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है
आँखों में नमी-सी है चुप-चुप-से वो बैठे हैं
नाज़ुक-सी निगाहों में नाज़ुक-सा फ़साना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
या वो थे ख़फ़ा हमसे या हम थे ख़फ़ा उनसे
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है
-जिगर मुरादाबादी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
Ye kiska tassavvur hai, ye kiska fasaana hai
jo ashk hain aankhon mein tasbeeh ka daana hai
Jo unpe guzarti hai kisne use jaana hai
apni hi musibat hai apna hi fasaana hai
aankhon mein namee si hai chup-chup se wo baithe hain
naazuk si nigaahon mein naazuk sa fasaana hai
ye ishq naheen aasaan itna to samajh leeje
ik aag ka dariyaa hai aur doob ke jaana hai
yaa wo the khafaa humse, ya hum hain khafa unse
kal unka zamaanaa tha, aaj apna zamaana hai
-Jigar Moradabadi
जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है
[(तसव्वुर = ख़याल, विचार, याद), (फ़साना = विवरण, हाल), (अश्क = आँसू), (तस्बीह = माला)]
जो उनपे गुज़रती है किसने उसे जाना है
अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है
आँखों में नमी-सी है चुप-चुप-से वो बैठे हैं
नाज़ुक-सी निगाहों में नाज़ुक-सा फ़साना है
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है
या वो थे ख़फ़ा हमसे या हम थे ख़फ़ा उनसे
कल उनका ज़माना था आज अपना ज़माना है
-जिगर मुरादाबादी
पूरी ग़ज़ल यहाँ पढ़ें : बज़्म-ए-अदब
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Chitra Singh
Ye kiska tassavvur hai, ye kiska fasaana hai
jo ashk hain aankhon mein tasbeeh ka daana hai
Jo unpe guzarti hai kisne use jaana hai
apni hi musibat hai apna hi fasaana hai
aankhon mein namee si hai chup-chup se wo baithe hain
naazuk si nigaahon mein naazuk sa fasaana hai
ye ishq naheen aasaan itna to samajh leeje
ik aag ka dariyaa hai aur doob ke jaana hai
yaa wo the khafaa humse, ya hum hain khafa unse
kal unka zamaanaa tha, aaj apna zamaana hai
-Jigar Moradabadi
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