बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा, मेरे आगे
(बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल = बच्चों का खेल), (शब-ओ-रोज़ = रात और दिन)
होता है निहाँ गर्द में सहरा, मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे
(निहाँ = निहित, छिपा हुआ), (गर्द = धूल), (सहरा = रेगिस्तान), (जबीं = माथा, मस्तक)
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा, तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे
ईमाँ मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है, कलीसा मेरे आगे
(ईमाँ = ईमान, सत्य, धर्म, आस्था), (कुफ़्र = अनास्था, अधर्म), (काबा = मस्जिद), (कलीसा = गिरजाघर)
गो हाथ को जुंबिश नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे
(गो = यद्यपि, अगरचे), (जुंबिश = कंपन), (साग़र-ओ-मीना = प्याला और शराब)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा, मेरे आगे
(बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल = बच्चों का खेल), (शब-ओ-रोज़ = रात और दिन)
होता है निहाँ गर्द में सहरा, मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया, मेरे आगे
(निहाँ = निहित, छिपा हुआ), (गर्द = धूल), (सहरा = रेगिस्तान), (जबीं = माथा, मस्तक)
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा, तेरे पीछे
तू देख कि क्या रंग है तेरा, मेरे आगे
ईमाँ मुझे रोके है, जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है, कलीसा मेरे आगे
(ईमाँ = ईमान, सत्य, धर्म, आस्था), (कुफ़्र = अनास्था, अधर्म), (काबा = मस्जिद), (कलीसा = गिरजाघर)
गो हाथ को जुंबिश नहीं, आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़र-ओ-मीना मेरे आगे
(गो = यद्यपि, अगरचे), (जुंबिश = कंपन), (साग़र-ओ-मीना = प्याला और शराब)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Baazeechaa-e-atfaal hai duniya mere aage
Hota hai shab-o-roz tamaasha, mere aage
Hota hai nihaaN gard meiN sehara, mere hote
Ghisata hai jabeeN Khaak pe dariya, mere aage
Mat pooch ke kya haal hai mera, tere peeche
Tu dekh ke kya rang tera, mere aage
ImaaN mujhe roke hai jo kheeNche hai mujhe kufr
Ka'aba mere peeche hai kaleesa mere aage
Go haath ko jumbish naheeN aaNhoN meiN to dam hai
Rehne do abhi saagar-o-meena mere aage
-Mirza Ghalib
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ReplyDeletePlease correct the sher "मत पूछ कि क्या हाल है मेरा, 'तेरे' पीछे"
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