और बाज़ार से ले आए, अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मेरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है
(साग़र-ए-जम = जमशेद का मधुपात्र/ प्याला, जमशेद ईरान का प्रसिद्ध सम्राट था, उसका मधुपात्र प्रसिद्ध है),
(जामे-सिफ़ाल = मिट्टी का कुल्हड़)
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है
देखिये, पाते हैं उश्शाक़, बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहमन ने कहा है, कि ये साल अच्छा है
(उश्शाक़ = आशिक़ का बहुवचन), (बुत = प्रतिमा, माशूक़, प्रेमिका), (फ़ैज़ = लाभ,उपकार), (बरहमन = ब्राह्मण, पंडित)
हम को मालूम है, जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को, ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
(जन्नत = स्वर्ग), (हक़ीक़त = वास्तविकता)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Aur baazaar se le aaye, agar toot gaya
Saagar-e-jam se mera jaam-e-sifaal achcha hai
Unke dekhe se jo aa jaati hai moonh par raunaq
Wo samajhten hain ke beemaar ka haal achcha hai
Dekhiye, paate hain ushshaaq, buton se kya faiz
Ik barhaman ne kaha hai ke ye saal achcha hai
Humko maaloom hai jannat ki haqeeqat lekin
Dil ke khush rakhne ko 'Ghalib' ye khayaal achcha hai
-Mirza Ghalib
साग़र-ए-जम से मेरा जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है
(साग़र-ए-जम = जमशेद का मधुपात्र/ प्याला, जमशेद ईरान का प्रसिद्ध सम्राट था, उसका मधुपात्र प्रसिद्ध है),
(जामे-सिफ़ाल = मिट्टी का कुल्हड़)
उनके देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं के बीमार का हाल अच्छा है
देखिये, पाते हैं उश्शाक़, बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहमन ने कहा है, कि ये साल अच्छा है
(उश्शाक़ = आशिक़ का बहुवचन), (बुत = प्रतिमा, माशूक़, प्रेमिका), (फ़ैज़ = लाभ,उपकार), (बरहमन = ब्राह्मण, पंडित)
हम को मालूम है, जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को, ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
(जन्नत = स्वर्ग), (हक़ीक़त = वास्तविकता)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Aur baazaar se le aaye, agar toot gaya
Saagar-e-jam se mera jaam-e-sifaal achcha hai
Unke dekhe se jo aa jaati hai moonh par raunaq
Wo samajhten hain ke beemaar ka haal achcha hai
Dekhiye, paate hain ushshaaq, buton se kya faiz
Ik barhaman ne kaha hai ke ye saal achcha hai
Humko maaloom hai jannat ki haqeeqat lekin
Dil ke khush rakhne ko 'Ghalib' ye khayaal achcha hai
-Mirza Ghalib
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