बसकि दुश्वार है, हर काम का आसाँ होना
आदमी को भी मयस्सर नहीं, इन्साँ होना
[(दुश्वार = मुश्किल, कठिन), (मयस्सर = प्राप्त, उपलब्ध )]
की मेरे क़त्ल के बा`द, उसने जफ़ा से तौबा
हाए, उस ज़ूद-पशेमाँ का पशेमाँ होना
(जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अन्याय, अत्याचार ), (तौबा = गलत काम को भविष्य में न करने की प्रतिज्ञा), (पशेमाँ = लज्जित, शर्मिंदा, जिसे पश्चाताप हुआ हो), (ज़ूद-पशेमाँ = शीघ्र लज्जित हो जाने वाला, अपनी भूल पर बहुत जल्दी पछताने वाला)
हैफ़, उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत, ग़ालिब
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गरीबाँ होना
(हैफ़ = पश्चाताप, अफ़सोस), (गरीबाँ = कुर्ते आदि में गले का भाग, गिरहबान)
bas ki dushwaar hai har kaam ka aasaa.N hona
aadami ko bhi mayassar nahi.n insaa.N hona
ki mere qatl ke baad us ne jafaa se tauba
haaye us zood-pashemaa.N kaa pashemaa.N honaa
haif us chaar girah kapade ki qismat 'Ghalib'
jis ki qismat mein ho aashiq kaa garebaa.N hona
-Mirza Ghalib
No comments:
Post a Comment