हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज में सिलवट ही निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नही जोड़ा नहीं करते
शहद जीने का मिला करता हैं थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिये दिल नही तोड़ा नही करते
लग के साहिल से जो बहता हैं उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
(साहिल = किनारा), (रुख़ = मुख, मुंह, चेहरा)
-गुलज़ार
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जागने पर भी नहीं आँख से गिरती किरचें
इस तरह ख़्वाबों से आँखें नहीं फोड़ा करते
जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते
(कोहसार = पर्वतमाला)
Haath chooten bhi to rishte nahin chhoda karte
Waqt ki shaakh se lamhein nahin toda karte
Jiski aawaaz mein silwat ho nigahon mein shikan
Aisi tasveer ke tukde nahin joda karte
Shahad jeene ka mila karta hai thoda thoda
Jaane waalon ke liye dil nahin thoda karte
Lag ke saahil se jo behta hai use behne do
Aise dariya ka kabhi rukh nahin moda karte
-Gulzar
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज में सिलवट ही निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नही जोड़ा नहीं करते
शहद जीने का मिला करता हैं थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिये दिल नही तोड़ा नही करते
लग के साहिल से जो बहता हैं उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
(साहिल = किनारा), (रुख़ = मुख, मुंह, चेहरा)
-गुलज़ार
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जागने पर भी नहीं आँख से गिरती किरचें
इस तरह ख़्वाबों से आँखें नहीं फोड़ा करते
जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते
(कोहसार = पर्वतमाला)
Haath chooten bhi to rishte nahin chhoda karte
Waqt ki shaakh se lamhein nahin toda karte
Jiski aawaaz mein silwat ho nigahon mein shikan
Aisi tasveer ke tukde nahin joda karte
Shahad jeene ka mila karta hai thoda thoda
Jaane waalon ke liye dil nahin thoda karte
Lag ke saahil se jo behta hai use behne do
Aise dariya ka kabhi rukh nahin moda karte
-Gulzar
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