है लौ ज़िंदगी ज़िंदगी नूर है
मगर इस पे जलने का दस्तूर
(दस्तूर = रीती, रस्म, रिवाज़, प्रथा)
कभी सामने आता, मिलते उसे
बड़ा नाम् उसका है मशहूर है
भँवर पास है चल पहन ले इसे
किनारे का फंदा बहुत दूर है
सुना है वही करने वाला है सब
सुना है के इंसान मजबूर है
-गुलज़ार
Hai lau zindagi zindagi noor hai
Magar is pe jalne ka dastoor hai
Kabhi saamne aata, milte use
Badaa naam uska hai mashhoor hai
Bhanwar paas hai chal pahan le ise
Kinaare ka fanda bahut door hai
Suna hai wahi karne waala hai sab
Suna hai ke insaan majboor hai
-Gulzar
-------------
ये "हैल्लो ज़िन्दगी" नामक सीरियल का शीर्षक गीत था जो कई साल पहले दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ करता था।
है लौ ज़िंदगी, ज़िंदगी नूर है
मगर इसमें जलने का दस्तूर है
अधूरे से रिश्तों में जलते रहो
अधूरी सी साँसों में पलते रहो
मगर जिये जाने का दस्तूर है
रवायत है के ज़िंदगी गहना है
ये हीरा है और चाटते रहना है
के लम्हों में मरने का दस्तूर है
(रवायत = कहावत)
-गुलज़ार
Hai lau zindagi, zindagi noor hai
Magar ismein jalne ka dastur hai
Adhoore se rishton mein jalte raho
Adhoore si saanson mein palte raho
Magar jiye jaane ka dastur hai
Ravayat hai ke zindagi gehna hai
Ye heera hai aur chaat-te rehna hai
Ke lamhon mein marne ka dastur hai
-Gulzar
मगर इस पे जलने का दस्तूर
(दस्तूर = रीती, रस्म, रिवाज़, प्रथा)
कभी सामने आता, मिलते उसे
बड़ा नाम् उसका है मशहूर है
भँवर पास है चल पहन ले इसे
किनारे का फंदा बहुत दूर है
सुना है वही करने वाला है सब
सुना है के इंसान मजबूर है
-गुलज़ार
Hai lau zindagi zindagi noor hai
Magar is pe jalne ka dastoor hai
Kabhi saamne aata, milte use
Badaa naam uska hai mashhoor hai
Bhanwar paas hai chal pahan le ise
Kinaare ka fanda bahut door hai
Suna hai wahi karne waala hai sab
Suna hai ke insaan majboor hai
-Gulzar
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ये "हैल्लो ज़िन्दगी" नामक सीरियल का शीर्षक गीत था जो कई साल पहले दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ करता था।
है लौ ज़िंदगी, ज़िंदगी नूर है
मगर इसमें जलने का दस्तूर है
अधूरे से रिश्तों में जलते रहो
अधूरी सी साँसों में पलते रहो
मगर जिये जाने का दस्तूर है
रवायत है के ज़िंदगी गहना है
ये हीरा है और चाटते रहना है
के लम्हों में मरने का दस्तूर है
(रवायत = कहावत)
-गुलज़ार
Hai lau zindagi, zindagi noor hai
Magar ismein jalne ka dastur hai
Adhoore se rishton mein jalte raho
Adhoore si saanson mein palte raho
Magar jiye jaane ka dastur hai
Ravayat hai ke zindagi gehna hai
Ye heera hai aur chaat-te rehna hai
Ke lamhon mein marne ka dastur hai
-Gulzar
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