सब कहाँ, कुछ लाला-ओ-गुल में नुमायाँ हो गईं
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं
(लाला-ओ-गुल = लाला और गुलाब के फूल), (नुमायाँ = प्रकट, ज़ाहिर), (पिन्हाँ = विलीन, छिपा हुआ)
रंज से ख़ूगर हुआ इन्सां, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा), (ख़ूगर = अभ्यस्त, आदी)
यूं ही गर रोता रहा ग़ालिब, तो अय अहल-ए-जहाँ
देखना इन बस्तियों को तुम, के वीराँ हो गईं
(अहल-ए-जहाँ = दुनियावालों), (वीराँ = वीरान, निर्जन, उजाड़)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Sab kahan, kuch lala-o-gul mein numaayan ho gayeen
Khaak mein kya suraten hongi ke pinhan ho gayeen
Ranj se khuoogar hua insaan to mit jaata hai ranj
Mushkilyen mujh par padi itni ke aasaan ho gayeen
Yun hi gar rota raha 'Ghalib' to ay ahel-e-jahaan
Dekhna in bastiyon ko tum ke veeraan ho gayeen
-Mirza Ghalib
ख़ाक में क्या सूरतें होंगी, के पिन्हाँ हो गईं
(लाला-ओ-गुल = लाला और गुलाब के फूल), (नुमायाँ = प्रकट, ज़ाहिर), (पिन्हाँ = विलीन, छिपा हुआ)
रंज से ख़ूगर हुआ इन्सां, तो मिट जाता है रंज
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी, के आसाँ हो गईं
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा), (ख़ूगर = अभ्यस्त, आदी)
यूं ही गर रोता रहा ग़ालिब, तो अय अहल-ए-जहाँ
देखना इन बस्तियों को तुम, के वीराँ हो गईं
(अहल-ए-जहाँ = दुनियावालों), (वीराँ = वीरान, निर्जन, उजाड़)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Sab kahan, kuch lala-o-gul mein numaayan ho gayeen
Khaak mein kya suraten hongi ke pinhan ho gayeen
Ranj se khuoogar hua insaan to mit jaata hai ranj
Mushkilyen mujh par padi itni ke aasaan ho gayeen
Yun hi gar rota raha 'Ghalib' to ay ahel-e-jahaan
Dekhna in bastiyon ko tum ke veeraan ho gayeen
-Mirza Ghalib
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