उसकी बातें बहार की बातें
वादी-ए-लालाज़ार की बातें
(वादी-ए-लालाज़ार = गुलाब के फूलों की वादी)
गुल-ओ-शबनम का ज़िक्र कर ना अभी
मुझको करनी है यार की बातें
(गुल-ओ-शबनम = फूल और ओस)
मखमली फ़र्श पे हो जिनकें कदम
क्या वो समझेंगे ख़ार की बातें
(ख़ार = काँटा)
शेख़ जी मैकदा है काबा नहीं
याँ तो होंगी ख़ुमार की बातें
(शेख़ = धर्माचार्य)
इश्क़ का कारवाँ चला भी नहीं
और अभी से ग़ुबार की बातें
(ग़ुबार = गर्द, धूल)
ये क़फ़स और तेरा ख़याल-ए-हसीं
उस पे हरसू बहार की बातें
(क़फ़स = पिंजरा), (ख़याल-ए-हसीं = ख़ूबसूरत याद/ ख़याल), (हरसू = हर तरफ़)
याद है तुझसे गुफ़्तगू करना
कभी इश्क़, कभी रार की बातें
ऐ नसीम-ए-सहर मुझे भी सुना,
गेसू-ए-मुश्क़बार की बातें
(नसीम-ए-सहर = बयार, हल्की हल्की बहती हुई हवा), (गेसू-ए-मुश्क़बार = सुगन्धित और ख़ुशबूदार बाल/ ज़ुल्फ़ें)
जब सुकूँ है कफ़स में ऐ 'राही'
क्यूँ करें हम फ़रार की बातें
(क़फ़स = पिंजरा)
-सईद राही
Uski baaten bahaar ki baaten
Waadi-e-lalazaar ki baaten
Gul-o-shabnam ka jikr kar na abhi
Mujhko karni hai yaar ki baaten
Sheikh maikada hai kaaba nahin
Yaan to hongi khumaar ki baaten
Ishq ka kaarwaan chala bhi nahin
Aur abhi se gubaar ki baaten
Ye kafas aur tera khayaal-e-hasin
Us pe harsoo bahaar ki baaten
-Saeed Rahi
वादी-ए-लालाज़ार की बातें
(वादी-ए-लालाज़ार = गुलाब के फूलों की वादी)
गुल-ओ-शबनम का ज़िक्र कर ना अभी
मुझको करनी है यार की बातें
(गुल-ओ-शबनम = फूल और ओस)
मखमली फ़र्श पे हो जिनकें कदम
क्या वो समझेंगे ख़ार की बातें
(ख़ार = काँटा)
शेख़ जी मैकदा है काबा नहीं
याँ तो होंगी ख़ुमार की बातें
(शेख़ = धर्माचार्य)
इश्क़ का कारवाँ चला भी नहीं
और अभी से ग़ुबार की बातें
(ग़ुबार = गर्द, धूल)
ये क़फ़स और तेरा ख़याल-ए-हसीं
उस पे हरसू बहार की बातें
(क़फ़स = पिंजरा), (ख़याल-ए-हसीं = ख़ूबसूरत याद/ ख़याल), (हरसू = हर तरफ़)
याद है तुझसे गुफ़्तगू करना
कभी इश्क़, कभी रार की बातें
ऐ नसीम-ए-सहर मुझे भी सुना,
गेसू-ए-मुश्क़बार की बातें
(नसीम-ए-सहर = बयार, हल्की हल्की बहती हुई हवा), (गेसू-ए-मुश्क़बार = सुगन्धित और ख़ुशबूदार बाल/ ज़ुल्फ़ें)
जब सुकूँ है कफ़स में ऐ 'राही'
क्यूँ करें हम फ़रार की बातें
(क़फ़स = पिंजरा)
-सईद राही
Uski baaten bahaar ki baaten
Waadi-e-lalazaar ki baaten
Gul-o-shabnam ka jikr kar na abhi
Mujhko karni hai yaar ki baaten
Sheikh maikada hai kaaba nahin
Yaan to hongi khumaar ki baaten
Ishq ka kaarwaan chala bhi nahin
Aur abhi se gubaar ki baaten
Ye kafas aur tera khayaal-e-hasin
Us pe harsoo bahaar ki baaten
-Saeed Rahi
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