वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
सुना है उसको मोहब्बत दुआएँ देती है
जो दिल पे चोट तो खाये मगर गिला न करे
(गिला = शिकायत)
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे
ये ठीक है नहीं मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करे
सुना है उसको मोहब्बत दुआएँ देती है
जो दिल पे चोट तो खाये मगर गिला न करे
(गिला = शिकायत)
बुझा दिया है नसीबों ने मेरे प्यार का चाँद
कोई दिया मेरी पलकों पे अब जला न करे
अगर वफ़ा पे भरोसा रहे न दुनिया को
तो कोई शख़्स मोहब्बत का हौसला न करे
ज़माना देख चुका है परख चुका है उसे
'क़तील' जान से जाये पर इल्तिजा न करे
(इल्तिजा = प्रार्थना, विनय, निवेदन, गुज़ारिश)
-क़तील शिफ़ाई
Wo dil hi kya tere milne ki jo dua na kare
main tujhko bhool ke zinda rahoon khuda na kare
rahega saath tera pyaar zindagi bankar
ye aur baat meri zindagi wafa na kare
ye theek hai nahin marta koi judaee mein
khuda kisi ko kisi se magar juda na kare
suna hai usko mohabbat duayen deti hai
jo dil pe chot to khaaye magar gila na kare
main tujhko bhool ke zinda rahoon khuda na kare
rahega saath tera pyaar zindagi bankar
ye aur baat meri zindagi wafa na kare
ye theek hai nahin marta koi judaee mein
khuda kisi ko kisi se magar juda na kare
suna hai usko mohabbat duayen deti hai
jo dil pe chot to khaaye magar gila na kare
agar wafaa pe bharosa rahe na duniya ko
to koi shakhs mohabbat ka hausala na kare
bujha diya hai naseebon ne mere pyaar ka chaand
koi diya meri palkon pe ab jalaa na kare
zamaana dekh chuka hai parakh chuka hai use
'Qateel' jaan se jaaye par iltija na kare
-Qateel Shifai
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