मुझे ग़ुस्सा दिखाया जा रहा है
तबस्सुम को चबाया जा रहा है
(तबस्सुम = मुस्कराहट)
वहीं तक आबरू में ज़ब्त-ए-ग़म है
जहाँ तक मुस्कुराया जा रहा है
(आबरू = प्रतिष्ठा, इज़्ज़त), (ज़ब्त-ए-ग़म = दुःख प्रकट ना होने देना)
दो आलम मैंने छोड़े जिसकी ख़ातिर
वही दामन छुड़ाया जा रहा है
(आलम = जगत, संसार, दुनिया)
क़रीब आने में है उनको तक़ल्लुफ़
वहीं से मुस्कुराया जा रहा है
(तक़ल्लुफ़ = संकोच, लिहाज)
-शेरी भोपाली
Mujhe gussa dikhaaya jaa raha hai
Tabassum ko chabaaya jaa raha hai
Wahin tak aabroo me zabt-e-gham hai
Jahan tak mushkuraaya jaa raha hai
Do aalam maine chhode jiski khaatir
Wahi daaman chhudaaya jaa raha hai
Kareeb aane mein hai unko takalluf
Wahin se muskuraaya jaa raha hai
-Sheri Bhopali
तबस्सुम को चबाया जा रहा है
(तबस्सुम = मुस्कराहट)
वहीं तक आबरू में ज़ब्त-ए-ग़म है
जहाँ तक मुस्कुराया जा रहा है
(आबरू = प्रतिष्ठा, इज़्ज़त), (ज़ब्त-ए-ग़म = दुःख प्रकट ना होने देना)
दो आलम मैंने छोड़े जिसकी ख़ातिर
वही दामन छुड़ाया जा रहा है
(आलम = जगत, संसार, दुनिया)
क़रीब आने में है उनको तक़ल्लुफ़
वहीं से मुस्कुराया जा रहा है
(तक़ल्लुफ़ = संकोच, लिहाज)
-शेरी भोपाली
Mujhe gussa dikhaaya jaa raha hai
Tabassum ko chabaaya jaa raha hai
Wahin tak aabroo me zabt-e-gham hai
Jahan tak mushkuraaya jaa raha hai
Do aalam maine chhode jiski khaatir
Wahi daaman chhudaaya jaa raha hai
Kareeb aane mein hai unko takalluf
Wahin se muskuraaya jaa raha hai
-Sheri Bhopali
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