हुस्न वालों का एहतिराम करो
कुछ तो दुनिया मे नेक काम करो
(एहतिराम = सम्मान, आदर, इज़्ज़त)
शेख़ आये हैं बा-वज़ू होकर
अब तो पीने का इंतिज़ाम करो
(शेख़ = धर्माचार्य), (बा-वज़ू होकर = नमाज़ पढ़कर)
अभी बरसेंगे हर तरफ़ जलवे
तुम निगाहों का एहतिमाम करो
(एहतिमाम = व्यवस्था, इंतिज़ाम, बंदोबस्त)
लोग डरने लगें गुनाहों से
बारिश-ए-रहमत-ए-तमाम करो
(बारिश-ए-रहमत-ए-तमाम = ईश्वरीय कृपा की अत्यधिक बरसात)
-कुँवर मोहिन्दर सिंह बेदी 'सहर'
Husn waalon ka ehtaraam karo
Kuch to duniya mein nek kaam karo
Shekh aayen hain baa-wazoo hokar
Ab to peene ka intezaam karo
Abhi barsenge har taraf jalwe
Tum nighaahon ka ehtimaam karo
Log darne lagen gunaahon se
Barish-e-rehmat-e-tamaam karo
-Kunwar Mohinder Singh Bedi 'Sahar'
कुछ तो दुनिया मे नेक काम करो
(एहतिराम = सम्मान, आदर, इज़्ज़त)
शेख़ आये हैं बा-वज़ू होकर
अब तो पीने का इंतिज़ाम करो
(शेख़ = धर्माचार्य), (बा-वज़ू होकर = नमाज़ पढ़कर)
अभी बरसेंगे हर तरफ़ जलवे
तुम निगाहों का एहतिमाम करो
(एहतिमाम = व्यवस्था, इंतिज़ाम, बंदोबस्त)
लोग डरने लगें गुनाहों से
बारिश-ए-रहमत-ए-तमाम करो
(बारिश-ए-रहमत-ए-तमाम = ईश्वरीय कृपा की अत्यधिक बरसात)
-कुँवर मोहिन्दर सिंह बेदी 'सहर'
Husn waalon ka ehtaraam karo
Kuch to duniya mein nek kaam karo
Shekh aayen hain baa-wazoo hokar
Ab to peene ka intezaam karo
Abhi barsenge har taraf jalwe
Tum nighaahon ka ehtimaam karo
Log darne lagen gunaahon se
Barish-e-rehmat-e-tamaam karo
-Kunwar Mohinder Singh Bedi 'Sahar'
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