ठुकराओ अब, के प्यार करो, मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
अब भी दिला रहा हूँ यक़ीन-ऐ-वफ़ा मगर
मेरा ना एतबार करो, मैं नशे में हूँ
(यक़ीन-ऐ-वफ़ा = वफ़ा का भरोसा)
गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
(साग़र = शराब का प्याला)
मुझको क़दम-क़दम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ
(वाइज़ = धर्मोपदेशक),
फ़िर बेख़ुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ
(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)
-शाहिद कबीर
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
अब तुम को इख़्तियार है ऐ अहल-ए-कारवाँ
जो राह इख़्तियार करो मैं नशे में हूँ
(इख़्तियार = अधिकार, काबू, प्रभुत्व), (अहल-ए-कारवाँ = कारवाँ वालों)
अपनी जिसे नहीं उसे ‘शाहिद’ की क्या ख़बर
तुम उस का इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ
Thukarao ab ke pyar karo main nashe mein hoon
Jo chaho mere yaar karo main nashe mein hoon
Ab bhi dila raha hoon yaqin-e-wafa magar
Mera na aitabar karo main nashe mein hoon
Girane do tum mujhe mera sagar sambhal lo
Itna to mere yaar karo main nashe mein hoon
Mujhko qadam qadam pe bahakane do Waaizon
Tum apna karobar karo main nashe mein hoon
Phir bekhudi mein had se guzarne laga hoon main
Itna na mujhase pyar karo main nashe mein hoon
-Shahid Kabir
जो चाहो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
अब भी दिला रहा हूँ यक़ीन-ऐ-वफ़ा मगर
मेरा ना एतबार करो, मैं नशे में हूँ
(यक़ीन-ऐ-वफ़ा = वफ़ा का भरोसा)
गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो, मैं नशे में हूँ
(साग़र = शराब का प्याला)
मुझको क़दम-क़दम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो, मैं नशे में हूँ
(वाइज़ = धर्मोपदेशक),
फ़िर बेख़ुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो, मैं नशे में हूँ
(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)
-शाहिद कबीर
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
अब तुम को इख़्तियार है ऐ अहल-ए-कारवाँ
जो राह इख़्तियार करो मैं नशे में हूँ
(इख़्तियार = अधिकार, काबू, प्रभुत्व), (अहल-ए-कारवाँ = कारवाँ वालों)
अपनी जिसे नहीं उसे ‘शाहिद’ की क्या ख़बर
तुम उस का इंतिज़ार करो मैं नशे में हूँ
Thukarao ab ke pyar karo main nashe mein hoon
Jo chaho mere yaar karo main nashe mein hoon
Ab bhi dila raha hoon yaqin-e-wafa magar
Mera na aitabar karo main nashe mein hoon
Girane do tum mujhe mera sagar sambhal lo
Itna to mere yaar karo main nashe mein hoon
Mujhko qadam qadam pe bahakane do Waaizon
Tum apna karobar karo main nashe mein hoon
Phir bekhudi mein had se guzarne laga hoon main
Itna na mujhase pyar karo main nashe mein hoon
-Shahid Kabir
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