ऐ मलिहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
अलविदा ऐ सरज़मीं-ए-सुबह-ए-खन्दाँ अलविदा (सरज़मीं-ए-सुबह-ए-खन्दाँ = देश की सुबह की हँसी)
अलविदा ऐ किशवर-ए-शेर-ओ-शबिस्ताँ अलविदा (किशवर-ए-शेर-ओ-शबिस्ताँ = देश के बहादुर लोग और स्थान)
अलविदा ऐ जलवागाह-ए-हुस्न-ए-जानाँ अलविदा
तेरे घर से एक ज़िन्दा लाश उठ जाने को है
आ गले मिल लें कि आवाज़-ए-जरस आने को है
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
हाय क्या क्या नेमतें मुझको मिली थीं बेबहा (बेबहा = बहुमूल्य)
ये ख़ामोशी ये खुले मैदान ये ठन्डी हवा
वाए, यह जाँ बख़्श गुस्ताँ हाय ये रंगीं फ़िज़ा
मर के भी इनको न भूलेगा दिल-ए-दर्द आशना
मस्त कोयल जब दकन की वादियों में गाएगी
यह सुबुक छांव बगूलों की बहुत याद आएगी (सुबुक = सुन्दर)
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
कल से कौन इस बाग़ को रंगीं बनाने आएगा
कौन फूलों की हंसी पर मुस्कुराने आएगा
कौन इस सब्ज़े को सोते से जगाने आएगा
कौन इन पौधों को सीने से लगाने आएगा
कौन जागेगा क़मर के नाज़ उठाने के लिये
चाँदनी रात को ज़ानों पर सुलाने के लिये
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
आम के बाग़ों में जब बरसात होगी पुरख़रोश
मेरी फ़ुर्क़त में लहू रोएगी चश्म-ए-मैफ़रोश
रस की बूंदें जब उडा देंगी गुलिस्तानों के होश
कुन्ज-ए-रंगीं में पुकारेंगी हवायें 'जोश जोश'
सुन के मेरा नाम मौसम ग़मज़दा हो जाएगा
एक महशर सा गुलिस्तां में बपा हो जाएगा
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
आ गले मिल लें ख़ुदा-हाफ़िज़ गुलिस्तान-ए-वतन
ऐ अमानीगंज के मैदान ऐ जान-ए-वतन
अलविदा ऐ लालाज़ार-ओ-सुम्बुलिस्तान-ए-वतन
अस्सलाम ऐ सोह्बत-ए-रंगीं-ए-यारान-ए-वतन
हश्र तक रहने न देना तुम दकन की ख़ाक में
दफ़न करना अपने शायर को वतन की ख़ाक में
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
-जोश मलीहाबादी
अलविदा ऐ सरज़मीं-ए-सुबह-ए-खन्दाँ अलविदा (सरज़मीं-ए-सुबह-ए-खन्दाँ = देश की सुबह की हँसी)
अलविदा ऐ किशवर-ए-शेर-ओ-शबिस्ताँ अलविदा (किशवर-ए-शेर-ओ-शबिस्ताँ = देश के बहादुर लोग और स्थान)
अलविदा ऐ जलवागाह-ए-हुस्न-ए-जानाँ अलविदा
तेरे घर से एक ज़िन्दा लाश उठ जाने को है
आ गले मिल लें कि आवाज़-ए-जरस आने को है
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
हाय क्या क्या नेमतें मुझको मिली थीं बेबहा (बेबहा = बहुमूल्य)
ये ख़ामोशी ये खुले मैदान ये ठन्डी हवा
वाए, यह जाँ बख़्श गुस्ताँ हाय ये रंगीं फ़िज़ा
मर के भी इनको न भूलेगा दिल-ए-दर्द आशना
मस्त कोयल जब दकन की वादियों में गाएगी
यह सुबुक छांव बगूलों की बहुत याद आएगी (सुबुक = सुन्दर)
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
कल से कौन इस बाग़ को रंगीं बनाने आएगा
कौन फूलों की हंसी पर मुस्कुराने आएगा
कौन इस सब्ज़े को सोते से जगाने आएगा
कौन इन पौधों को सीने से लगाने आएगा
कौन जागेगा क़मर के नाज़ उठाने के लिये
चाँदनी रात को ज़ानों पर सुलाने के लिये
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
आम के बाग़ों में जब बरसात होगी पुरख़रोश
मेरी फ़ुर्क़त में लहू रोएगी चश्म-ए-मैफ़रोश
रस की बूंदें जब उडा देंगी गुलिस्तानों के होश
कुन्ज-ए-रंगीं में पुकारेंगी हवायें 'जोश जोश'
सुन के मेरा नाम मौसम ग़मज़दा हो जाएगा
एक महशर सा गुलिस्तां में बपा हो जाएगा
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
आ गले मिल लें ख़ुदा-हाफ़िज़ गुलिस्तान-ए-वतन
ऐ अमानीगंज के मैदान ऐ जान-ए-वतन
अलविदा ऐ लालाज़ार-ओ-सुम्बुलिस्तान-ए-वतन
अस्सलाम ऐ सोह्बत-ए-रंगीं-ए-यारान-ए-वतन
हश्र तक रहने न देना तुम दकन की ख़ाक में
दफ़न करना अपने शायर को वतन की ख़ाक में
ऐ मलीहाबाद के रंगीं गुलिस्ताँ अलविदा
-जोश मलीहाबादी
बहुत ही खूबसूरत संयोजन , खासकर हिंदी , अंग्रेजी और वीडियो का संकलन ! मैं वर्षों से ऐसी कोई जगह , ऐसा कोई प्लेटफार्म ढूंढ रहा था जहाँ जगजीत सिंह जी की ग़ज़लों का एक जगह ही सारा कलेक्शन तथा लिरिक्स के साथ अर्थ भी मिल जाये , आपके ब्लॉग ने हमारी ये कमी पूरी कर दी ! जितना धन्यवाद आपको दिया जाये कम है ! एल्बम कहकशां में एक गाने की कमी है कृपया उसे भी जोड़ दे !
ReplyDeleteगाने का लिंक ये रहा : https://www.youtube.com/watch?v=kx-yF3kJcAU
गाने का लिंक ये रहा : https://www.youtube.com/watch?v=kx-yF3kJcAU
Thank you so much for your blessings. "Todkar ahed-e-karam naashnaa ho jaayiye" is already there, below is the link. Please let me know if you find any other ghazal and I will add it to the blog.
Deletehttp://jagjitandchitra.blogspot.com/2014/12/todkar-ahed-e-karam-naashnaa-ho-jaayiye.html