यमुना तट, टीले रेतीले, घास फूस का घर डांडे पर
गोबर से लीपे आँगन में, तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर
माँ के मुँह से रामायण के दोहे चौपाई रस घोलें
आओ मन की गाँठें खोलें
बाबा की बैठक में बिछी चटाई बाहर रखे खड़ाऊँ
मिलने वालों के मन में असमंजस, जाऊँ या ना जाऊँ
माथे तिलक, नाक पर ऐनक, पोथी खुली, स्वंय से बोलें
आओ मन की गाँठें खोलें
सरस्वती की देख साधना, लक्ष्मी ने संबंध ना जोड़ा
मिट्टी ने माथे के चंदन, बनने का संकल्प ना तोड़ा
नये वर्ष की अगवानी में टुक रुक लें, कुछ ताजा हो लें
आओ मन की गाँठें खोलें
-अटल बिहारी वाजपेयी
Singer: Alka Yagnik
http://mio.to/album/Nayi+Disha+%281991%29
गोबर से लीपे आँगन में, तुलसी का बिरवा, घंटी स्वर
माँ के मुँह से रामायण के दोहे चौपाई रस घोलें
आओ मन की गाँठें खोलें
बाबा की बैठक में बिछी चटाई बाहर रखे खड़ाऊँ
मिलने वालों के मन में असमंजस, जाऊँ या ना जाऊँ
माथे तिलक, नाक पर ऐनक, पोथी खुली, स्वंय से बोलें
आओ मन की गाँठें खोलें
सरस्वती की देख साधना, लक्ष्मी ने संबंध ना जोड़ा
मिट्टी ने माथे के चंदन, बनने का संकल्प ना तोड़ा
नये वर्ष की अगवानी में टुक रुक लें, कुछ ताजा हो लें
आओ मन की गाँठें खोलें
-अटल बिहारी वाजपेयी
Singer: Alka Yagnik
http://mio.to/album/Nayi+Disha+%281991%29
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