टूटे हुए तारों से फूटे वासन्ती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी ?
अन्तर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा
रार नई ठानूँगा
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
-अटल बिहारी वाजपेयी
Alka Yagnik & Shankar Mahadevan
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी ?
अन्तर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा
रार नई ठानूँगा
काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
-अटल बिहारी वाजपेयी
Alka Yagnik & Shankar Mahadevan
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