हम दोस्ती एहसान वफ़ा भूल गए हैं
ज़िंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं
ख़ुशबू जो लुटाती है मसलते हैं उसी को
एहसान का बदला यही मिलता है कली को
एहसान तो लेते है, सिला भूल गए हैं
करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा
डर मौत का और ख़ौफ़-ऐ-ख़ुदा भूल गए हैं
अब मोम पिघल कर कोई पत्थर नही होता
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नही होता
यूँ भटकते है मंज़िल का पता भूल गए हैं
-पयाम सईदी
ज़िंदा तो है जीने की अदा भूल गए हैं
ख़ुशबू जो लुटाती है मसलते हैं उसी को
एहसान का बदला यही मिलता है कली को
एहसान तो लेते है, सिला भूल गए हैं
करते है मोहब्बत का और एहसान का सौदा
मतलब के लिए करते है ईमान का सौदा
डर मौत का और ख़ौफ़-ऐ-ख़ुदा भूल गए हैं
अब मोम पिघल कर कोई पत्थर नही होता
अब कोई भी क़ुर्बान किसी पर नही होता
यूँ भटकते है मंज़िल का पता भूल गए हैं
-पयाम सईदी
Hum dosti ehsaan wafaa bhool gaye hain
Zinda to hain jeene ki ada bhool gaye hain
Khushboo jo lutati hai masalte hain usi ko
Ehsaan ka badla yehi milta hai kali ko
Ehsaan to lete hai sila bhool gaye hain
Karte hai mohabbat ka aur ehsaan ka sauda
Matlab ke liye karte hain imaan ka sauda
Dar maut ka aur khauf-e-khuda bhool gaye hain
Ab mom pighal kar koi patthar nahi hota
Ab koi bhi qurbaan kisi per nahi hota
Yun bhatkte hain manzil ka pata bhool gaye hain
-Payam Saeedi
No comments:
Post a Comment