इब्तिदा में कलाम था
और वो ख़ुदा के साथ था
वो कलाम ख़ुद ख़ुदा ही था
पहले से उसके साथ था
(इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ), (कलाम = शब्द, वाणी, बोली)
उसमें ही सब कुछ पैदा हुआ
उसके बिना तो कुछ भी न था
थी उस कलाम से ही ज़िन्दगी
थी वो ही इन्सां की रौशनी
वो नूर चमका अँधेरों में
अँधेरा उसको समझा न था
-अनिल कांत
Ibtida mein kalaam tha
Aur wo khuda ke saath tha
Wo kalaam khud khuda hi tha
Pehle se uske saath tha
Usme hi sab kuch paida hua
Uske bina to kuch bhi na tha
Thee us kalaam se hi zindagi
Thee wo hi insaan ki roshni
Wo noor chamka, andheron mein
Andhera usko samjha na tha
-Anil Kant
और वो ख़ुदा के साथ था
वो कलाम ख़ुद ख़ुदा ही था
पहले से उसके साथ था
(इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ), (कलाम = शब्द, वाणी, बोली)
उसमें ही सब कुछ पैदा हुआ
उसके बिना तो कुछ भी न था
थी उस कलाम से ही ज़िन्दगी
थी वो ही इन्सां की रौशनी
वो नूर चमका अँधेरों में
अँधेरा उसको समझा न था
-अनिल कांत
Ibtida mein kalaam tha
Aur wo khuda ke saath tha
Wo kalaam khud khuda hi tha
Pehle se uske saath tha
Usme hi sab kuch paida hua
Uske bina to kuch bhi na tha
Thee us kalaam se hi zindagi
Thee wo hi insaan ki roshni
Wo noor chamka, andheron mein
Andhera usko samjha na tha
-Anil Kant
No comments:
Post a Comment