जब नहीं आए थे तुम, तब भी तो तुम आए थे
आँख में नूर की और दिल में लहू की सूरत
याद की तरह धड़कते हुए दिल की सूरत
तुम नहीं आए अभी, फिर भी तो तुम आए हो
रात के सीने में महताब के खंज़र की तरह
सुब्हो के हाथ में ख़ुर्शीद के सागर की तरह
(महताब = चाँद), (ख़ुर्शीद = सूरज)
तुम नहीं आओगे जब, फिर भी तो तुम आओगे
ज़ुल्फ़ दर ज़ुल्फ़ बिखर जाएगा, फिर रात का रंग
शब–ए–तन्हाई में भी लुत्फ़–ए–मुलाक़ात का रंग
(शब–ए–तन्हाई = अकेलेपन का अकेलापन)
आओ आने की करें बात, कि तुम आए हो
अब तुम आए हो तो मैं कौन सी शै नज़र करूँ
के मेरे पास सिवा मेहर–ओ–वफ़ा कुछ भी नहीं
(शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़), (मेहर–ओ–वफ़ा = प्यार और वफ़ा)
एक दिल एक तमन्ना के सिवा कुछ भी नहीं
आँख में नूर की और दिल में लहू की सूरत
याद की तरह धड़कते हुए दिल की सूरत
तुम नहीं आए अभी, फिर भी तो तुम आए हो
रात के सीने में महताब के खंज़र की तरह
सुब्हो के हाथ में ख़ुर्शीद के सागर की तरह
(महताब = चाँद), (ख़ुर्शीद = सूरज)
तुम नहीं आओगे जब, फिर भी तो तुम आओगे
ज़ुल्फ़ दर ज़ुल्फ़ बिखर जाएगा, फिर रात का रंग
शब–ए–तन्हाई में भी लुत्फ़–ए–मुलाक़ात का रंग
(शब–ए–तन्हाई = अकेलेपन का अकेलापन)
आओ आने की करें बात, कि तुम आए हो
अब तुम आए हो तो मैं कौन सी शै नज़र करूँ
के मेरे पास सिवा मेहर–ओ–वफ़ा कुछ भी नहीं
(शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़), (मेहर–ओ–वफ़ा = प्यार और वफ़ा)
एक दिल एक तमन्ना के सिवा कुछ भी नहीं
-अली सरदार जाफ़री
Jab nahi aaye the tum, tab bhi to tum aaye the
Aankh mein noor ki aur dil me lahoo ki soorat
Yaad ki tarah dhadakte hue dil ki soorat
Tum nahi aaye abhi phir bhi to tum aaye ho
Raat ke seene me mehtaab ke khanjar ki tarah
Subah ke haath mein khursheed ke sagar ki tarah
Tum nahi aaoge jab phir bhi to tum aaoge
Zulf-dar-zulf bikhar jayega phir raat ka rang
Shab-e-tanhayi me bhi lutf-e-mulakat ka rang
Aao aane ki kare baat ke tum aaye ho
Ab tum aaye ho main kaun si shai nazar karun
Ki mere pass siva mehr-o-wafa kuch bhi nahi
Ek dil ek tamanna ke siva kuch bhi nahi
-Ali Sardar Jafri
No comments:
Post a Comment