जब अगले साल यही वक़्त आ रहा होगा
ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा
तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ
के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा
यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे हैं
इसी जगह पे ख़ुदा जाने कल को क्या होगा
बिछड़ने वाले तुझे देख देख सोचता हूँ
तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा
-रियाज़ मजीद
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
हम अपने-अपने बखेड़ों में फँस चुके होंगे
न तुझ को मेरा न मुझ को तेरा पता होगा
यही चमकते हुए पल धुआँ धुआँ होंगे
यही चमकता हुआ दिल बुझा बुझा होगा
लहू रुलाएगा वो धूप छाँव का मंज़र
नज़र उठाऊँगा जिस सिम्त झुटपुटा होगा
Jab agle saal yahi waqt aa raha hoga
Ye kaun jaanta hai kaun kis jagah hoga
Tu mere saamne baitha hai aur main sochta hoon
Ke aate lamhon mein jeena bhi ik saza hoga
Yahi jagah jahaan hum aaj milke baithe hain
Isi jagah pe khuda jaane kal ko kya hoga
Bichhadne wale tujhe dekh dekh sochta hoon
Tu phir milega to kitna badal gaya hoga
-Riaz Majeed
ये कौन जानता है कौन किस जगह होगा
तू मेरे सामने बैठा है और मैं सोचता हूँ
के आते लम्हों में जीना भी इक सज़ा होगा
यही जगह जहाँ हम आज मिल के बैठे हैं
इसी जगह पे ख़ुदा जाने कल को क्या होगा
बिछड़ने वाले तुझे देख देख सोचता हूँ
तू फिर मिलेगा तो कितना बदल गया होगा
-रियाज़ मजीद
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
हम अपने-अपने बखेड़ों में फँस चुके होंगे
न तुझ को मेरा न मुझ को तेरा पता होगा
यही चमकते हुए पल धुआँ धुआँ होंगे
यही चमकता हुआ दिल बुझा बुझा होगा
लहू रुलाएगा वो धूप छाँव का मंज़र
नज़र उठाऊँगा जिस सिम्त झुटपुटा होगा
Jab agle saal yahi waqt aa raha hoga
Ye kaun jaanta hai kaun kis jagah hoga
Tu mere saamne baitha hai aur main sochta hoon
Ke aate lamhon mein jeena bhi ik saza hoga
Yahi jagah jahaan hum aaj milke baithe hain
Isi jagah pe khuda jaane kal ko kya hoga
Bichhadne wale tujhe dekh dekh sochta hoon
Tu phir milega to kitna badal gaya hoga
-Riaz Majeed
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