राज़-ए-उल्फत छुपा के देख लिया
दिल बहुत कुछ जला के देख लिया
(राज़-ए-उल्फत = प्रेम का रहस्य)
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
वो मेरे होके भी मेरे ना हुए
उनको अपना बना के देख लिया
आज उनकी नज़र में कुछ हमने
सबकी नज़रें बचा के देख लिया
-फैज़ अहमद फैज़
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
आस उस दर से टूटती ही नहीं
जा के देखा, न जा के देख लिया
'फैज़', तक़मील-ए-ग़म भी हो ना सकी
इश्क़ को आज़मा के देख लिया
(तक़मील = पूरा होने की क्रिया या भाव, पूर्णता), (तक़मील-ए-ग़म = दुःख की पूर्णता/ पूर्ती)
Raaz-e-ulfat chhupa ke dekh liya
Dil bahut kuch jala ke dekh liya
Aur kya dekhne ko baaki hai
Aap se dil laga ke dekh liya
Wo mere hoke bhi mere na huye
Unko apna bana ke dekh liya
Aaj unki nazar mein kuch humne
Sabki nazar bacha ke dekh liya
-Faiz Ahmed Faiz
दिल बहुत कुछ जला के देख लिया
(राज़-ए-उल्फत = प्रेम का रहस्य)
और क्या देखने को बाक़ी है
आप से दिल लगा के देख लिया
वो मेरे होके भी मेरे ना हुए
उनको अपना बना के देख लिया
आज उनकी नज़र में कुछ हमने
सबकी नज़रें बचा के देख लिया
-फैज़ अहमद फैज़
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
आस उस दर से टूटती ही नहीं
जा के देखा, न जा के देख लिया
'फैज़', तक़मील-ए-ग़म भी हो ना सकी
इश्क़ को आज़मा के देख लिया
(तक़मील = पूरा होने की क्रिया या भाव, पूर्णता), (तक़मील-ए-ग़म = दुःख की पूर्णता/ पूर्ती)
Raaz-e-ulfat chhupa ke dekh liya
Dil bahut kuch jala ke dekh liya
Aur kya dekhne ko baaki hai
Aap se dil laga ke dekh liya
Wo mere hoke bhi mere na huye
Unko apna bana ke dekh liya
Aaj unki nazar mein kuch humne
Sabki nazar bacha ke dekh liya
-Faiz Ahmed Faiz
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