मेरे हमनफ़स मेरे हमनवा मुझे दोस्त बनके दग़ा न दे
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ में जाँबलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
(हमनफ़स = मित्र), (हमनवा = साथी), (जाँबलब = मृतप्राय, जिसके प्राण होंटों तक आ गए हों, मरणासन्न)
मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी, उसी रौशनी से है ज़िन्दगी
मुझे डर है ऐ मेरे चारागर, ये चराग़ तू ही बुझा न दे
(चारागर = चिकित्सक)
मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराये शोलों का डर नहीं
मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है, ये कहीं चमन को जला न दे
(अज़्म = श्रेष्ठता), (आतिश-ए-गुल = गुलाब/ फूल की आग)
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर, तेरा क्या भरोसा है चारागर
ये तेरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर, मेरा दर्द और बढ़ा न दे
(नवाज़िश-ए-मुख़्तसर = छोटी सी मेहरबानी)
वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू, अरे ओ ‘शकील’ कहाँ है तू
तेरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
(ख़ुम-ओ-सुबू = शराब रखने का पात्र, मटका, घड़ा), (बज़्म = महफ़िल)
-शकील बदायूँनी
https://www.youtube.com/watch?v=2qykIOqFrbk
मैं हूँ दर्द-ए-इश्क़ में जाँबलब, मुझे ज़िन्दगी की दुआ न दे
(हमनफ़स = मित्र), (हमनवा = साथी), (जाँबलब = मृतप्राय, जिसके प्राण होंटों तक आ गए हों, मरणासन्न)
मेरे दाग़-ए-दिल से है रौशनी, उसी रौशनी से है ज़िन्दगी
मुझे डर है ऐ मेरे चारागर, ये चराग़ तू ही बुझा न दे
(चारागर = चिकित्सक)
मेरा अज़्म इतना बुलंद है कि पराये शोलों का डर नहीं
मुझे ख़ौफ़ आतिश-ए-गुल से है, ये कहीं चमन को जला न दे
(अज़्म = श्रेष्ठता), (आतिश-ए-गुल = गुलाब/ फूल की आग)
मुझे छोड़ दे मेरे हाल पर, तेरा क्या भरोसा है चारागर
ये तेरी नवाज़िश-ए-मुख़्तसर, मेरा दर्द और बढ़ा न दे
(नवाज़िश-ए-मुख़्तसर = छोटी सी मेहरबानी)
वो उठे हैं ले के ख़ुम-ओ-सुबू, अरे ओ ‘शकील’ कहाँ है तू
तेरा जाम लेने को बज़्म में कोई और हाथ बढ़ा न दे
(ख़ुम-ओ-सुबू = शराब रखने का पात्र, मटका, घड़ा), (बज़्म = महफ़िल)
-शकील बदायूँनी
https://www.youtube.com/watch?v=2qykIOqFrbk
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