ख़्वाब था या ख़याल था क्या था
हिज्र था या विसाल था क्या था
(हिज्र = बिछोह, जुदाई), (विसाल = मिलन)
मेरे पहलू में रात जा कर वो
माह था या हिलाल था क्या था
(माह = चन्द्रमा), (हिलाल = द्वितीया का चन्द्रमा, इसकी उपमा नायिका के नाख़ूनों और भौंहों से दी जाती है)
चमकी बिजली सी पर न समझे हम
हुस्न था या जमाल था क्या था
(जमाल = सौन्दर्य, शोभा, नूर)
शब जो दिल दो दो हाथ उछलता था
वज्द था या वो हाल था क्या था
(शब = रात), (वज्द = भावविभोरता, आनंदातिरेक से झूमने वाला)
जिस को हम रोज़-ए-हिज्र समझे थे
माह था या वो साल था क्या था
(रोज़-ए-हिज्र = जुदाई का दिन)
'मुसहफ़ी' शब जो चुप तू बैठा था
क्या तुझे कुछ मलाल था क्या था
(शब = रात), (मलाल = दुःख, रंज)
-ग़ुलाम हमदानी 'मुसहफ़ी'
Khwaab tha ya khayaal tha kya tha
Hijr tha ya visal tha kya tha
Mere pahlu mein raat jaa kar wo
Maah tha ya hilaal tha kya tha
Chamaki bijli si par na samajhe hum
Husn tha ya jamal tha kya tha
Shab jo dil do-do haath uchalta tha
Wajd tha ya wo haal tha kya tha
Jis ko hum roz-e-hijr samajhe the
Maah tha wo ke saal tha kya tha
‘Mussafi’ shab jo chup tu baitha tha
Kya tujhe kuch malaal tha kya tha
हिज्र था या विसाल था क्या था
(हिज्र = बिछोह, जुदाई), (विसाल = मिलन)
मेरे पहलू में रात जा कर वो
माह था या हिलाल था क्या था
(माह = चन्द्रमा), (हिलाल = द्वितीया का चन्द्रमा, इसकी उपमा नायिका के नाख़ूनों और भौंहों से दी जाती है)
चमकी बिजली सी पर न समझे हम
हुस्न था या जमाल था क्या था
(जमाल = सौन्दर्य, शोभा, नूर)
शब जो दिल दो दो हाथ उछलता था
वज्द था या वो हाल था क्या था
(शब = रात), (वज्द = भावविभोरता, आनंदातिरेक से झूमने वाला)
जिस को हम रोज़-ए-हिज्र समझे थे
माह था या वो साल था क्या था
(रोज़-ए-हिज्र = जुदाई का दिन)
'मुसहफ़ी' शब जो चुप तू बैठा था
क्या तुझे कुछ मलाल था क्या था
(शब = रात), (मलाल = दुःख, रंज)
-ग़ुलाम हमदानी 'मुसहफ़ी'
Khwaab tha ya khayaal tha kya tha
Hijr tha ya visal tha kya tha
Mere pahlu mein raat jaa kar wo
Maah tha ya hilaal tha kya tha
Chamaki bijli si par na samajhe hum
Husn tha ya jamal tha kya tha
Shab jo dil do-do haath uchalta tha
Wajd tha ya wo haal tha kya tha
Jis ko hum roz-e-hijr samajhe the
Maah tha wo ke saal tha kya tha
‘Mussafi’ shab jo chup tu baitha tha
Kya tujhe kuch malaal tha kya tha
-Ghulam Hamdaani Mushafi
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