क़रीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ
क़ज़ा से आँख लड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(क़ज़ा = मौत)
थकी थकी सी फिजायें बुझे बुझे तारे
बड़ी उदास घड़ी है ज़रा ठहर जाओ
अभी न जाओ के तारों का दिल धड़कता है
तमाम रात पड़ी है ज़रा ठहर जाओ
अरूस-ए-शाम अभी गेसुओं के साये में
कनीज़ बन के खड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(अरूस-ए-शाम = शाम की दुल्हन), (गेसुओं = ज़ुल्फ़ों), (कनीज़ = दासी)
दम-ए-फ़िराक़ में जी भर के तुम को देख तो लूं
ये फ़ैसले की घड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(दम-ए-फ़िराक़ = जुदाई की घड़ी, जुदाई के समय)
फिर इसके बाद कभी हम न तुमको रोकेंगें
लबों पे सांस अड़ी है ज़रा ठहर जाओ
नहीं उम्मीद के आज की हम सहर देखें
ये रात हम पे कड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(सहर = सुबह)
सैफुद्दीन सैफ़
https://www.youtube.com/watch?v=BkYvrvYRDP0&feature=youtu.be
क़ज़ा से आँख लड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(क़ज़ा = मौत)
थकी थकी सी फिजायें बुझे बुझे तारे
बड़ी उदास घड़ी है ज़रा ठहर जाओ
अभी न जाओ के तारों का दिल धड़कता है
तमाम रात पड़ी है ज़रा ठहर जाओ
अरूस-ए-शाम अभी गेसुओं के साये में
कनीज़ बन के खड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(अरूस-ए-शाम = शाम की दुल्हन), (गेसुओं = ज़ुल्फ़ों), (कनीज़ = दासी)
दम-ए-फ़िराक़ में जी भर के तुम को देख तो लूं
ये फ़ैसले की घड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(दम-ए-फ़िराक़ = जुदाई की घड़ी, जुदाई के समय)
फिर इसके बाद कभी हम न तुमको रोकेंगें
लबों पे सांस अड़ी है ज़रा ठहर जाओ
नहीं उम्मीद के आज की हम सहर देखें
ये रात हम पे कड़ी है ज़रा ठहर जाओ
(सहर = सुबह)
सैफुद्दीन सैफ़
https://www.youtube.com/watch?v=BkYvrvYRDP0&feature=youtu.be
qarīb maut khaḌī hai zarā Thahar jaao
qazā se aañkh laḌī hai zarā Thahar jaao
thakī thakī sī fazā.eñ bujhe bujhe taare
baḌī udaas ghaḌī hai zarā Thahar jaao
abhī na jaao ki tāroñ kā dil dhaḌaktā hai
tamām raat paḌī hai zarā Thahar jaao
aroos-e-shaam abhi gesuon ke saaye mein
kaneez ban ke khadi hai zaraa thahar jaao
dam-e-firāq maiñ jī bhar ke tum ko dekh to luuñ
ye faisle kī ghaḌī hai zarā Thahar jaao
phir is ke ba.ad kabhī ham na tum ko rokeñgi
laboñ pe saañs uḌī hai zarā Thahar jaao
nahīñ umiid ki ham aaj kī sahar dekheñ
ye raat ham pe kaḌī hai zarā Thahar jaao
-Saifuddin Saif
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