कोई समझेगा क्या राज़-ए-गुलशन
जब तक उलझे ना काँटों में दामन
(राज़-ए-गुलशन = बाग़ का रहस्य)
यक-ब-यक सामने आना जाना
रुक ना जाए कहीं दिल की धड़कन
(यक-ब-यक = अचानक, सहसा, अकस्मात्)
गुल तो गुल, ख़ार तक चुन लिए हैं
फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन
(गुल = फूल, ग़ुलाब), (ख़ार = काँटे), (गुलचीं = फूल चुनने वाला, माली)
कितनी आराइश-ए-आशियाना
टूट जाए ना शाख-ए-नशेमन
(आराइश-ए-आशियाना = घोंसले की सजावट/ सुसज्जा), (शाख-ए-नशेमन = पेड़ की डाली जिस पर घोंसला बना हुआ है)
अज़मत-ए-आशियाना बढ़ा दीं
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन
(अज़मत-ए-आशियाना = घोंसले की प्रतिष्ठा/ महत्ता/ सम्मान), (बर्क़ = बिजली, गाज)
इन गुलों से तो काँटे ही अच्छे,
जिनसे होती है तौहीन-ए-गुलशन
-फ़ना निज़ामी
Koi samjhega kya raz-e-gulshan
Jab tak uljhe na kaanton se daaman
Yak-ba-yak saamne aana jaana
Ruk na jaaye kahin dil ki dhadkan
Gul to gul, khaar tak chun liye hain
Fir bhi khaali hai gulcheen ka daaman
Kitni aara'ishyen aashiyaana
Toot jaaye na shakh-e-nasheman
Azmat-e-aashiyaana badhaa diN
Barq ko dost samjhoon ke dushman
-Fana Nizami
जब तक उलझे ना काँटों में दामन
(राज़-ए-गुलशन = बाग़ का रहस्य)
यक-ब-यक सामने आना जाना
रुक ना जाए कहीं दिल की धड़कन
(यक-ब-यक = अचानक, सहसा, अकस्मात्)
गुल तो गुल, ख़ार तक चुन लिए हैं
फिर भी ख़ाली है गुलचीं का दामन
(गुल = फूल, ग़ुलाब), (ख़ार = काँटे), (गुलचीं = फूल चुनने वाला, माली)
कितनी आराइश-ए-आशियाना
टूट जाए ना शाख-ए-नशेमन
(आराइश-ए-आशियाना = घोंसले की सजावट/ सुसज्जा), (शाख-ए-नशेमन = पेड़ की डाली जिस पर घोंसला बना हुआ है)
अज़मत-ए-आशियाना बढ़ा दीं
बर्क़ को दोस्त समझूँ के दुश्मन
(अज़मत-ए-आशियाना = घोंसले की प्रतिष्ठा/ महत्ता/ सम्मान), (बर्क़ = बिजली, गाज)
इन गुलों से तो काँटे ही अच्छे,
जिनसे होती है तौहीन-ए-गुलशन
-फ़ना निज़ामी
Jab tak uljhe na kaanton se daaman
Yak-ba-yak saamne aana jaana
Ruk na jaaye kahin dil ki dhadkan
Gul to gul, khaar tak chun liye hain
Fir bhi khaali hai gulcheen ka daaman
Kitni aara'ishyen aashiyaana
Toot jaaye na shakh-e-nasheman
Azmat-e-aashiyaana badhaa diN
Barq ko dost samjhoon ke dushman
-Fana Nizami
एक और शेर-
ReplyDeleteइन गुलों से तो काँटे ही अच्छे,
जिनसे होती है तौहीन-ए-गुलशन..
Thank you so much! Updated now.
DeleteAnil Sharma ji..
ReplyDeleteYe aakhiri line ka matlab samajh main nahi aaya... Please make me understand..."Azmat-e-aashiyaana badhaa diN, Barq ko dost samjhoon ke dushman"
ReplyDeleteghosle ki shaan kisne badhai (ya bizli kadakne se saan badh gayi) ? Please explain by replying me...
Kyonki bijli baaki saare aashiyaano mein naa girkar sirf hamaare aashiyane mein giri aur is prakaar sirf hamko chunkar hamaari shaan badhaai.
DeleteI think as Navtej explained it well. Bijli ki garj se aashiyana roshan ho gaya but at the same time it destroyed it so the question - Barq ko dost samju ke dushman
Deleteमतलब बिजली chamkane से कुछ waqt ke liye घर भी रोशन हुआ मतलब घर की शोभा बढ़ गयी, ये दोस्ती है,मगर
ReplyDeleteबिजली गिरने से घर टूट गया इसलिए दुश्मन...बड़ी गहरी shayri है