बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या है
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
(बे-सबब = बिना कारण)
आपके दम से तो दुनिया का भरम है कायम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है
तेरा कूचा तेरा दर तेरी गली काफ़ी हैं
बेठिकानो को ठिकाने की ज़रूरत क्या है
(कूचा = दो घरों के बीच की तंग गली)
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है
रंग आँखों के लिये, बू है दिमाग़ों के लिये
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है
-शाहिद कबीर
हम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
(बे-सबब = बिना कारण)
आपके दम से तो दुनिया का भरम है कायम
आप जब हैं तो ज़माने की ज़रूरत क्या है
तेरा कूचा तेरा दर तेरी गली काफ़ी हैं
बेठिकानो को ठिकाने की ज़रूरत क्या है
(कूचा = दो घरों के बीच की तंग गली)
दिल से मिलने की तमन्ना ही नहीं जब दिल में
हाथ से हाथ मिलाने की ज़रूरत क्या है
रंग आँखों के लिये, बू है दिमाग़ों के लिये
फूल को हाथ लगाने की ज़रूरत क्या है
-शाहिद कबीर
Besabab baat badhaane ki zaroorat kya hai
hum khafa kab the manaane ki zaroorat kya hai
aapke dum se to duniya ka bharam hai kaayam
aap jab hain to zamaane ki zaroorat kya hai
tera koocha, tera dar, teri gali kaafi hai
be-thikano ko thikane ki zaroorat kya hai
dil se milne ki tamanna hi nahin jab dil mein
haath se haath milaane ki zaroorat kya hai
rang aankhon ke liye boo hai damaagon ke liye
phool ko haath lagaane ki zaroorat kya hai
-Shahid Kabir
Aarizo gesu o lab.... Or nigahe teri........
ReplyDeleteAb bimaro ko dwakhane ki jrurt kya hai...
Jo tujhe dekhle wo khud hi hosh kho bethe.....
ReplyDeleteGum ke Maro ko maykhane ki jurrat kya hai....