चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिये
हर तरफ आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिये
सबको आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना
ज़िन्दगी क्या है मुहब्बत की ज़बाँ से सुनिये
मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिये
क्या ज़रूरी है के हर पर्दा उठाया जाए
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिये
-निदा फ़ाज़ली
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनिये
(तहरीरें = लिखावटें), (आब-ए-रवाँ = बहता हुआ पानी)
चाँद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी
ये कहानी किसी मस्ज़िद की अज़ाँ से सुनिये
हर तरफ आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिये
सबको आता नहीं दुनिया को सजा कर जीना
ज़िन्दगी क्या है मुहब्बत की ज़बाँ से सुनिये
मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ, मुझको वहाँ से सुनिये
क्या ज़रूरी है के हर पर्दा उठाया जाए
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिये
-निदा फ़ाज़ली
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनिये
(तहरीरें = लिखावटें), (आब-ए-रवाँ = बहता हुआ पानी)
चाँद में कैसे हुई क़ैद किसी घर की ख़ुशी
ये कहानी किसी मस्ज़िद की अज़ाँ से सुनिये
Chaand se phool se ya meri zubaan se suniye
har taraf aap kaa qissaa hai jahaan se suniye
sab ko aataa hai duniya ko sajaa kar jeenaa
zindagi kya hai mohabbat ki zubaan se suniye
meri aawaaz hi pardaa hai mere chehare kaa
main hoon khaamosh jahaan mujhko wahaan se suniye
kyaa zaroori hai ke har pardaa uthayaa jaaye
mere haalaat apne hi makaan se suniye
-Nida Fazli
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