हरसू दिखाई देते हैं वो जल्वागर मुझे
क्या क्या फ़रेब देती है मेरी नज़र मुझे
(हरसू = हर तरफ़), (जल्वागर = बनाव-श्रृंगार के साथ, श्रेष्ठ और महान व्यक्ति, यहाँ प्रेमी/ प्रेमिका से मतलब है), (फ़रेब = धोखा)
डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे
आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे
(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)
दिल लेके मुझसे देते हो दाग़-ए-जिगर मुझे
ये बात भूलने की नहीं उम्र भर मुझे
(दाग़-ए-जिगर = प्रेम की आग का दाग़)
आया ना रास नाला-ए-दिल का असर मुझे
अब तुम मिले तो कुछ नहीं अपनी ख़बर मुझे
(नाला-ए-दिल = दिल की आर्तनाद/ पुकार/ चीत्कार)
-जिगर मुरादाबादी
Har soo dikhaayi dete hain wo jalwagar mujhe
Kya kya fareb deti hai meri nazar mujhe
Dala hai bekhudi ne ajab raah par mujhe
Aankhen hai aur kuch nahin aata nazar mujhe
Dil leke mujhse dete ho daag-e-zigar mujhe
Ye baat bhoolne ki nahi umr bhar mujhe
Aaya na raas naala-e-dil ka asar mujhe
Ab tum mile to kuch nahin apni khabar mujhe
-Jigar Moradabadi
क्या क्या फ़रेब देती है मेरी नज़र मुझे
(हरसू = हर तरफ़), (जल्वागर = बनाव-श्रृंगार के साथ, श्रेष्ठ और महान व्यक्ति, यहाँ प्रेमी/ प्रेमिका से मतलब है), (फ़रेब = धोखा)
डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे
आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे
(बेख़ुदी = बेख़बरी, आत्मविस्मृति)
दिल लेके मुझसे देते हो दाग़-ए-जिगर मुझे
ये बात भूलने की नहीं उम्र भर मुझे
(दाग़-ए-जिगर = प्रेम की आग का दाग़)
आया ना रास नाला-ए-दिल का असर मुझे
अब तुम मिले तो कुछ नहीं अपनी ख़बर मुझे
(नाला-ए-दिल = दिल की आर्तनाद/ पुकार/ चीत्कार)
-जिगर मुरादाबादी
Har soo dikhaayi dete hain wo jalwagar mujhe
Kya kya fareb deti hai meri nazar mujhe
Dala hai bekhudi ne ajab raah par mujhe
Aankhen hai aur kuch nahin aata nazar mujhe
Dil leke mujhse dete ho daag-e-zigar mujhe
Ye baat bhoolne ki nahi umr bhar mujhe
Aaya na raas naala-e-dil ka asar mujhe
Ab tum mile to kuch nahin apni khabar mujhe
-Jigar Moradabadi
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