जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना
(गिला = शिकायत)
यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इस में रोने की कुछ जगह रखना
(तामीर = निर्माण, रचना)
मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना
मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना
-निदा फ़ाज़ली
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जाने वालों से राब्ता रखना
दोस्तो रस्म-ए-फ़ातिहा रखना
(राब्ता = मेल-जोल, सम्बन्ध), (फ़ातिहा = प्रार्थना, वह चढ़ावा जो मरे हुए लोगों के नाम पर दिया जाए, मृतक-भोज)
जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना
उमर करने को है पचास को पार
कौन है किस जगह पता रखना
Jab kisi se koi gila rakhnaa
saamne apne aai'ina rakhna
yun ujaalon se waasta rakhnaa
shamma ke paas hi hawa rakhnaa
ghar ki taameer chaahe jaisi ho
ismen rone ki kuch jageh rakhnaa
masjiden hain namaaziyon ke liye
apne ghar mein kahin khuda rakhnaa
milan-julna jahan zaroori ho
milne-julne ka hauslaa rakhnaa
-Nida Fazli
सामने अपने आईना रखना
(गिला = शिकायत)
यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इस में रोने की कुछ जगह रखना
(तामीर = निर्माण, रचना)
मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना
मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना
-निदा फ़ाज़ली
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जाने वालों से राब्ता रखना
दोस्तो रस्म-ए-फ़ातिहा रखना
(राब्ता = मेल-जोल, सम्बन्ध), (फ़ातिहा = प्रार्थना, वह चढ़ावा जो मरे हुए लोगों के नाम पर दिया जाए, मृतक-भोज)
जिस्म में फैलने लगा है शहर
अपनी तन्हाईयाँ बचा रखना
उमर करने को है पचास को पार
कौन है किस जगह पता रखना
Jab kisi se koi gila rakhnaa
saamne apne aai'ina rakhna
yun ujaalon se waasta rakhnaa
shamma ke paas hi hawa rakhnaa
ghar ki taameer chaahe jaisi ho
ismen rone ki kuch jageh rakhnaa
masjiden hain namaaziyon ke liye
apne ghar mein kahin khuda rakhnaa
milan-julna jahan zaroori ho
milne-julne ka hauslaa rakhnaa
-Nida Fazli
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