फिर कुछ इक दिल को बेक़रारी है
सीना जोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है
(बेक़रारी = व्याकुलता), (जोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी = भरपूर घाव का ढूँढने वाला)
फिर जिगर खोदने लगा, नाख़ुन
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लाला-कारी है
(आमद-ए-फ़स्ल-ए-लाला-कारी = फूलों की ऋतु का आगमन)
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेख़ुदी बे-सबब नहीं, ग़ालिब
कुछ तो है, जिस की पर्दादारी है
(बेख़ुदी = आत्मविस्मृति), (बे-सबब = अकारण)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Phir Kuch Is Dil Ko Beqarari Hai
Sina Zoya-e-zakhm-e-kari Hai
Phir Jigar Khodne Laga Nakhun
Amad-e-fasl-e-lalakari Hai
Phir Usi Bewafa Pe Marte Hain
Phir Wahi Zindagi Hamari Hai
Bekhudi Besabab Nahi ‘ghalib’
Kuch To Hai Jis Ki Pardadari Hai
-Mirza Ghalib
सीना जोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी है
(बेक़रारी = व्याकुलता), (जोया-ए-ज़ख़्म-ए-कारी = भरपूर घाव का ढूँढने वाला)
फिर जिगर खोदने लगा, नाख़ुन
आमद-ए-फ़स्ल-ए-लाला-कारी है
(आमद-ए-फ़स्ल-ए-लाला-कारी = फूलों की ऋतु का आगमन)
फिर उसी बेवफ़ा पे मरते हैं
फिर वही ज़िन्दगी हमारी है
बेख़ुदी बे-सबब नहीं, ग़ालिब
कुछ तो है, जिस की पर्दादारी है
(बेख़ुदी = आत्मविस्मृति), (बे-सबब = अकारण)
-मिर्ज़ा ग़ालिब
Phir Kuch Is Dil Ko Beqarari Hai
Sina Zoya-e-zakhm-e-kari Hai
Phir Jigar Khodne Laga Nakhun
Amad-e-fasl-e-lalakari Hai
Phir Usi Bewafa Pe Marte Hain
Phir Wahi Zindagi Hamari Hai
Bekhudi Besabab Nahi ‘ghalib’
Kuch To Hai Jis Ki Pardadari Hai
-Mirza Ghalib
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