तुम ने बदले हम से गिन गिन के लिये
हमने क्या चाहा था इस दिन के लिये - दाग़
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये - अमीर मीनाई
(वस्ल = मिलन), (मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)
वो नहीं सुनते हमारी, क्या करें
माँगते हैं हम दुआ जिन के लिये - दाग़
चाहने वालों से गर मतलब नहीं
आप फिर पैदा हुए किन के लिये - दाग़
बाग़बाँ, कलियाँ हों हलके रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये - अमीर मीनाई
(बाग़बाँ = माली)
-दाग़ देहलवी/ अमीर मीनाई
Tumne badle humse gin-gin ke liye
Humne kya chaaha tha is din ke liye
Wasl ka din aur itna mukhtasar
Din gine jaate the is din ke liye
Wo nahin sunte hamari kya karen
Maangte hain hum dua jinke liye
Chaahne waalo se gar matlab nahin
Aap phir paida hua kinke liye
Baaghbaan, kaliyan hon halke rang ki
Bhejni hain ek kamsin ke liye
-Daagh Dehlvi /Amir Meenai
अमीर मीनाई की पूरी ग़ज़ल:
जब से बुलबुल तूने दो तिनके लिये
टूटती है बिजलियाँ इनके लिये
है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
सादगी गहना है उस सिन के लिये
कौन वीराने में देखेगा बहार
फूल जंगल में खिले किनके लिये
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये
बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये
तुन्द मय और ऐसे कमसिन के लिये
साक़िया हल्की-सी ला इन के लिये
(तुन्द = तीव्र, तेज)
मुझ से रुख़्सत हो मेरा अहद-ए-शबाब
या ख़ुदा रखना न उस दिन के लिये
(अहद-ए-शबाब = यौवनकाल)
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को नापसन्द
अब कोई हूर आयेगी इन के लिये
(ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला)
लाश पर इबरत ये कहती है 'अमीर'
आये थे दुनिया में इस दिन के लिये
हमने क्या चाहा था इस दिन के लिये - दाग़
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये - अमीर मीनाई
(वस्ल = मिलन), (मुख़्तसर = थोड़ा, कम, संक्षिप्त)
वो नहीं सुनते हमारी, क्या करें
माँगते हैं हम दुआ जिन के लिये - दाग़
चाहने वालों से गर मतलब नहीं
आप फिर पैदा हुए किन के लिये - दाग़
बाग़बाँ, कलियाँ हों हलके रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये - अमीर मीनाई
(बाग़बाँ = माली)
-दाग़ देहलवी/ अमीर मीनाई
Tumne badle humse gin-gin ke liye
Humne kya chaaha tha is din ke liye
Wasl ka din aur itna mukhtasar
Din gine jaate the is din ke liye
Wo nahin sunte hamari kya karen
Maangte hain hum dua jinke liye
Chaahne waalo se gar matlab nahin
Aap phir paida hua kinke liye
Baaghbaan, kaliyan hon halke rang ki
Bhejni hain ek kamsin ke liye
-Daagh Dehlvi /Amir Meenai
अमीर मीनाई की पूरी ग़ज़ल:
जब से बुलबुल तूने दो तिनके लिये
टूटती है बिजलियाँ इनके लिये
है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार
सादगी गहना है उस सिन के लिये
कौन वीराने में देखेगा बहार
फूल जंगल में खिले किनके लिये
सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये
बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की
भेजनी हैं एक कमसिन के लिये
वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये
तुन्द मय और ऐसे कमसिन के लिये
साक़िया हल्की-सी ला इन के लिये
(तुन्द = तीव्र, तेज)
मुझ से रुख़्सत हो मेरा अहद-ए-शबाब
या ख़ुदा रखना न उस दिन के लिये
(अहद-ए-शबाब = यौवनकाल)
सब हसीं हैं ज़ाहिदों को नापसन्द
अब कोई हूर आयेगी इन के लिये
(ज़ाहिद = संयमी, विरक्त, जप-तप करने वाला)
लाश पर इबरत ये कहती है 'अमीर'
आये थे दुनिया में इस दिन के लिये
Great line sir thanks lot
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