हम तो यूँ अपनी ज़िन्दगी से मिले
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
(गोया = मानो, जैसे)
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले
-सुदर्शन फ़ाकिर
Hum to yun apani zindagi se mile
Ajanabi jaise ajanabi se mile
Har wafaa ek jurm ho goya
Dost kuch aeisi berukhi se mile
Phool hi phool hamane maange the
Daag hi daag zindagi se mile
Jis tarah aap hamase milate hain
Aadmi yun na aadmi se mile
-Sudarshan Faakir
अजनबी जैसे अजनबी से मिले
हर वफ़ा एक जुर्म हो गोया
दोस्त कुछ ऐसी बेरुख़ी से मिले
(गोया = मानो, जैसे)
फूल ही फूल हम ने माँगे थे
दाग़ ही दाग़ ज़िन्दगी से मिले
जिस तरह आप हम से मिलते हैं
आदमी यूँ न आदमी से मिले
-सुदर्शन फ़ाकिर
Hum to yun apani zindagi se mile
Ajanabi jaise ajanabi se mile
Har wafaa ek jurm ho goya
Dost kuch aeisi berukhi se mile
Phool hi phool hamane maange the
Daag hi daag zindagi se mile
Jis tarah aap hamase milate hain
Aadmi yun na aadmi se mile
-Sudarshan Faakir
No comments:
Post a Comment