तुझ से रुख़सत की वो शाम-ए-अश्क-अफ़्शाँ हाय हाय
वो उदासी वो फ़िज़ा-ए-गिरिया सामा हाय हाय
(रुख़सत = विदाई), (शाम-ए-अश्क-अफ़्शाँ = आँखों से छलकते हुए आँसुओं भरी शाम), (फ़िज़ा-ए-गिरिया = रोने-धोने का वातावरण), (सामा = सुनने वाला)
याँ कफ़-ए-पा चूम लेने की भिंची सी आरज़ू
वाँ बगलगीरी का शर्माया सा अरमाँ हाय हाय
(कफ़-ए-पा = पैर का पंजा), (भिंची सी = दबी हुई सी), (बगलगीरी = निकटता)
वो मेरे होंटों पे कुछ कहने की हसरत वाए शौक़
वो तेरी आँखों में कुछ सुनने का अरमाँ हाय हाय
(हसरत = कामना), (वाए शौक़ = हाय रे मेरी चाहत/ अभिलाषा)
-जोश मलीहाबादी
Tujhse ruksat ki wo shaam-e-ashq-afshaan haaye haaye
Wo udaasi wo fizaa-e-giriya saama haaye haaye
Yaan kaf-e-pa choom lene ki bhinchi si aarzoo
Waan bagalgiri ka sharmaaya sa armaan haaye haaye
Wo mere hoton pe kuch kehne ki hasrat waaye shauk
Wo teri aankhon mein kuch sun-ne ka armaan haaye haaye
-Josh Malihabadi
वो उदासी वो फ़िज़ा-ए-गिरिया सामा हाय हाय
(रुख़सत = विदाई), (शाम-ए-अश्क-अफ़्शाँ = आँखों से छलकते हुए आँसुओं भरी शाम), (फ़िज़ा-ए-गिरिया = रोने-धोने का वातावरण), (सामा = सुनने वाला)
याँ कफ़-ए-पा चूम लेने की भिंची सी आरज़ू
वाँ बगलगीरी का शर्माया सा अरमाँ हाय हाय
(कफ़-ए-पा = पैर का पंजा), (भिंची सी = दबी हुई सी), (बगलगीरी = निकटता)
वो मेरे होंटों पे कुछ कहने की हसरत वाए शौक़
वो तेरी आँखों में कुछ सुनने का अरमाँ हाय हाय
(हसरत = कामना), (वाए शौक़ = हाय रे मेरी चाहत/ अभिलाषा)
-जोश मलीहाबादी
Wo udaasi wo fizaa-e-giriya saama haaye haaye
Yaan kaf-e-pa choom lene ki bhinchi si aarzoo
Waan bagalgiri ka sharmaaya sa armaan haaye haaye
Wo mere hoton pe kuch kehne ki hasrat waaye shauk
Wo teri aankhon mein kuch sun-ne ka armaan haaye haaye
-Josh Malihabadi
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